Yajna: कष्टों को खत्म करने वाले हैं ये 5 ‘यज्ञ’

punjabkesari.in Saturday, May 14, 2022 - 10:06 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Yajna: हमारे त्यागी, तपस्वी, विद्वान, ऋषि मुनियों ने हर व्यक्ति को विशेष कर गृहस्थी को पांच महायज्ञ नित्य सुचारू रूप से करने का आदेश दिया है। इन पांच महायज्ञों से अनेकों लाभ तो हैं ही पर विशेष लाभ यह है कि ये पांचों यज्ञ पांच किस्म के दुखों व कष्टों को दूर करने वाले भी हैं यानी इन यज्ञों से दुखों व कष्टों का निवारण होता है। वे पांच महायज्ञ हैं (1) ब्रह्मयज्ञ (2) देवयज्ञ (3) पितृयज्ञ (4) बलिवैश्व देव यज्ञ (5) अतिथि यज्ञ। पांच यज्ञों से पांच कष्ट कैसे दूर होते हैं, उनका संक्षिप्त परिचय यहां देते हैं।

पितृयज्ञ : पितृयज्ञ से परिवार व गृहस्थ जीवन सुखी बनता है। जिस घर में पितृ जनों का आदर व सम्मान होगा तथा उनकी सभी आवश्यकताएं पूर्ण होंगी तो उनके आशीर्वाद और उनके अनुभवों का लाभ उस परिवार को मिलेगा जिससे वह परिवार भी सुखी बना रहेगा। वेद हमें मरे हुए पितरों का श्राद्ध व तर्पण करना नहीं सिखाते बल्कि जीवित माता-पिता व वृद्धजनों की श्रद्धा पूर्वक सेवा, सुश्रुषा करके उनकी आत्मा को प्रसन्न रखना सिखाते हैं जिसको श्राद्ध कहते हैं। अपने स्वभाव व व्यवहार से बड़ों के मन को तृप्त रखना ही तर्पण कहलाता है जो जीवितों का ही कर पाना संभव है। मरने के बाद करना एक अंधविश्वास ही है।

PunjabKesari, Yajna, yajna in hindi, 5 types of yajna, types of yajna

ब्रह्मयज्ञ : ब्रह्मयज्ञ, आत्मा के दुखों व कष्टों का निवारण करके, आनंद की अनुभूति करवाता है। ब्रह्मयज्ञ का तात्पर्य है सन्ध्योपासना करना तथा वेद आदि धार्मिक पुस्तकों का स्वाध्याय करना। मनुष्य को ईश्वर की स्तुति, प्रार्थना व साधना नित्य प्रात: व सायं करनी चाहिए। 

इससे आत्मा में आए विकार यानी ईर्ष्या, द्वेष, घृणा, हिंसा आदि दोष नष्ट हो जाते हैं और उनकी जगह प्रेम, दया, करुणा, परोपकार की भावना व आनंद का संचार होता है। 

PunjabKesari, ​​​​​​​Yajna, yajna in hindi, 5 types of yajna, types of yajna

देवयज्ञ : यह महायज्ञ मनुष्य के शरीर से संबंध रखता है। देवयज्ञ का तात्पर्य है हवन करके सब जड़ देवों को प्रसन्न करना। विश्व में पांच जड़ देवता हैं, जिनके नाम हैं जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी और आकाश। इन पांचों जड़ देवताओं का अग्नि मुख है। जिस प्रकार हम अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए मुख से भोजन करते हैं और वह भोजन पेट में जाकर रस, रक्त आदि बन कर पूरे शरीर में फैलता है तथा पूरे शरीर की कमियों की पूर्ति करता है, तब मनुष्य स्वस्थ रह पाता है। यही काम यज्ञ का है।

PunjabKesari, ​​​​​​​Yajna, yajna in hindi, 5 types of yajna, types of yajna

बलिवैश्वदेव यज्ञ : इस यज्ञ से सब जीवों को प्रसन्न रखा जाता है। जो भूखा है उसको भोजन देना जो प्यासा है उसको जल देना। जो असहाय है उसकी सहायता करना। जो जीव हम पर आश्रित है उसकी रक्षा करना ही बलिवैश्व देवय है। इस यज्ञ में जीव ङ्क्षहसा का कोई स्थान नहीं है। जब सब जीव प्रसन्न रहेंगे तो प्रकृति भी शांत रहेगी उसमें किसी प्रकार का प्रकोप नहीं होगा और सब जगह शांति बनी रहेगी।

PunjabKesari, ​​​​​​​Yajna, yajna in hindi, 5 types of yajna, types of yajna

अतिथि यज्ञ : घरों में अज्ञानता से जो वैमनस्य बना रहता है, आपस में वैरभाव रहता है और परस्पर लड़ते-झगड़ते रहते हैं, अतिथि यज्ञ से वे समाप्त हो जाते हैं। अतिथि यज्ञ का तात्पर्य है कि गृहस्थियों के घर पर संत, सन्यासी, विद्वान व गुरुकुल के आचार्यों व ब्रह्मचारियों का आना-जाना बना रहे। जिस गृहस्थ में इनका आदर सत्कार होगा, उनके घरों में प्रवचन होंगे, उपदेश होंगे और उस घर में परस्पर विरोध व कटुता कभी भी नहीं रहेगी। इसका कारण यह है कि परस्पर विरोध व कटुता अज्ञान से ही उत्पन्न होती है।

PunjabKesari, ​​​​​​​Yajna, yajna in hindi, 5 types of yajna, types of yajna

संन्यासियों और विद्वानों के सद् उपदेश जिस घर में होंगे उस घर से अज्ञानता दूर हो जाएगी तथा परस्पर प्रेम व सहृदयता का वातावरण बन जाएगा। तब पति-पत्नी, सास-बहू, भाई-भाई का झगड़ा कभी नहीं होगा और वह घर परस्पर शुद्ध व्यवहार से स्वर्ग के समान बन जाएगा। 

इस प्रकार पांच महायज्ञों से पांच दुखों व कष्टों की निवृत्ति होती है इसलिए हर व्यक्ति को विशेष कर हर गृहस्थी को अपना जीवन व गृहस्थ को सुखी बनाने के लिए ये पांच महायज्ञ अवश्य करने चाहिएं।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Related News