सूर्य ग्रहण 2019: जानिए, इस दौरान क्या करें और क्या न करें

punjabkesari.in Monday, Dec 16, 2019 - 04:02 PM (IST)

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साल 2019 का अंतिम सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर दिन गुरुवार को लग रहा है। जब चंद्रमा सूर्य व पृथ्वी के बीच में आ जाता है तो उसके कारण सूर्य की किरणें पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाती। इस घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। ग्रहण का सूतक बहुत समय पहले से ही शुरू हो जाता है, जिस दौरान कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि सूर्य ग्रहण के दौरान कौन से काम करने चाहिए और कौन से नहीं। 
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ग्रहण के समय खुद पर संयम रखकर जप-ध्यान करने से कई गुना फल प्राप्त होता है।

इस समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक नरक में वास करता है। ग्रहण में 3 प्रहर (9) घंटे पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए। बूढ़े, बालक और रोगी डेढ़ प्रहर (4.30 घंटे) पूर्व तक खा सकते हैं।

ग्रहण काल का सूतक शुरू होने से पहले जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियां डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते। पके हुए अन्न का त्याग करके उसे गाय, कुत्ते को डालकर नया भोजन बनाना चाहिए।

ग्रहण वेध के प्रारंभ में तिल या कुशमिश्रित जल का उपयोग भी अत्यावश्यक परिस्थिति में ही करना चाहिए और ग्रहण शुरू होने से अंत तक अन्न या जल नहीं लेना चाहिए।
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ग्रहण के स्पर्श के समय स्नान, मध्य के समय होम, देवपूजन और श्राद्ध तथा अंत में सचैल (वस्त्र सहित) स्नान करना चाहिए। स्त्रियां सिर धोए बिना भी स्नान कर सकती हैं। ग्रहण के समय पहने हुए वस्त्रों के साथ ही नहाना चाहिए। 

ग्रहण पूर्ण होने पर जिसका ग्रहण हो, उसका शुद्ध बिम्ब देखकर भोजन करना चाहिए।

ग्रहण के समय ताला खोलना, सोना, मलमूत्र का त्याग, मैथुन और भोजन- ये सब कार्य वर्जित हैं।

गर्भवती महिला को ग्रहण के समय विशेष सावधान रहना चाहिए। 3 दिन या 1 दिन उपवास करके स्नान-दानादि का ग्रहण में महाफल है किंतु संतानयुक्त गृहस्थ को ग्रहण और संक्रांति के दिन उपवास नहीं करना चाहिए।

भगवान वेदव्यासजी ने परम हितकारी वचन कहे हैं- सामान्य दिन से चंद्रग्रहण में किया गया पुण्य कर्म (जप, ध्यान, दान आदि) 1 लाख गुना और सूर्यग्रहण में 10 लाख गुना फलदायी होता है। यदि गंगाजल पास में हो तो चंद्रग्रहण में 1 करोड़ गुना और सूर्यग्रहण में 10 करोड़ गुना फलदायी होता है।
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ग्रहण के समय गुरुमंत्र, ईष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम जप अवश्य करें। ऐसा न करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है। ग्रहण के अवसर पर दूसरे का अन्न खाने से 12 वर्षों का एकत्र किया हुआ सब पुण्य नष्ट हो जाता है। 


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