Subhash Chandra Bose Martyrdom Day: सुभाष चंद्र बोस के ये विचार बदल देंगे आपकी सोच

punjabkesari.in Sunday, Aug 18, 2024 - 11:00 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Subhash Chandra Bose Martyrdom Day: सुभाष चंद्र बोस स्वतंत्रता संग्राम के एक महान योद्धा थे। बंगाल में एक धनी परिवार में पैदा हुए। अच्छी शिक्षा प्राप्त की। पिता ने आई.सी.एस. की परीक्षा के लिए लंदन भेज दिया। बोस ने परीक्षा पास की। आई.सी.एस. में भर्ती होने के लिए उन्हें लिखने के लिए कहा गया कि वह अंग्रेज शासकों की वफादारी के साथ नौकरी करेंगे। उन्होंने यह लिखने से मना कर दिया।

1945 में द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मनी और जापान ने अलाइड ताकतों के सामने समर्पण कर दिया। सुभाष चंद्र बोस को सलाह दी गई कि वह रूस चले जाएं। उन्होंने ताइवान में एक जहाज में सवारी की परन्तु उड़ान के तुरंत बाद उस जहाज में आग लग गई। जहाज गिरा और सुभाष चंद्र बोस शहीद हो गए। ऊपर लिखी कहानी तो जगविदित है परन्तु पाठकों को यह भी ज्ञात रहे कि सुभाष ही आजादी के वह नायक थे, जिन्होंने गांधीजी को ‘बापू’ की संज्ञा दी और भारत को ‘जय हिन्द’ का नारा।

PunjabKesari Subhash Chandra Bose

आज हमें सुभाष चंद्र बोस की निम्नलिखित तीन बातों को जानने की आवश्यकता है :
सुभाष चंद्र बोस राष्ट्रीय एकता के पक्षधर थे। उन्होंने सिंगापुर में अपनी सेना के लिए एक ही रसोईघर बना रखा था। हिन्दू, मुस्लिम, सिख और ईसाई, सबके लिए उसी रसोई में खाना बनता था और सब साथ मिलकर खाना खाते थे।

सुभाष चंद्र बोस की यह सोच थी कि जब तक हिन्दू-मुस्लिम मिलकर प्रयत्न नहीं करेंगे, अंग्रेजों को देश से नहीं निकाला जा सकता। सुभाष चंद्र बोस की यह सोच थी कि भारतवर्ष में नारी शक्ति का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा।

PunjabKesari Subhash Chandra Bose

उन्होंने 1928 में, जब कलकत्ता में कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन हुआ तो 500 स्त्रियों का एक संगठन बनाया, जिन्होंने एक विशेष वर्दी पहन कर उस अधिवेशन के अनुशासन की देखभाल की।

इसी प्रकार दक्षिण-पूर्व एशिया में जब उन्होंने ‘आजाद हिन्द फौज’ का गठन किया तो 1000 स्त्रियों की एक बटालियन बनाई, जिसका नाम ‘रानी झांसी रैजिमैंट’ रखा। उनका मत था कि नारियां भारतवर्ष की शक्ति को दोगुना कर सकती हैं।

सुभाष चंद्र बोस की यह सोच थी कि आजादी के उपरांत देश में रहने वाले सभी वर्गों के लोगों को न्याय मिलना चाहिए। उन्हें एक सम्मानजनक जीवन बिताने का अधिकार होना चाहिए। दुर्भाग्यवश आज भी भारत में गरीबी, लाचारी और सामाजिक अन्याय है।

आइए 18 अगस्त को सुभाष चंद्र बोस के शहीदी दिवस पर संकल्प करें कि हम संकीर्ण भावनाओं से ऊपर उठकर सुभाष की इन तीनों मान्यताओं को सम्मान देंगे। इसी में देश का भला है।     

PunjabKesari Subhash Chandra Bose


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Prachi Sharma

Related News