Nirjala ekadashi vrat katha: आज अवश्य पढ़ें, निर्जला एकादशी व्रत कथा

punjabkesari.in Saturday, May 27, 2023 - 09:26 AM (IST)

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Nirjala ekadashi vrat katha: एक बार पाण्डु पुत्र भीम सेन ने श्रील वेदव्यास जी से पूछा," हे परम पूजनीय विद्वान पितामह! मेरे परिवार के सभी लोग एकादशी व्रत करते हैं व मुझे भी करने के लिए कहते हैं। किन्तु मुझ से भूखा नहीं रहा जाता। आप कृपा करके मुझे बताएं कि उपवास किए बिना एकादशी का फल कैसे मिल सकता है?"

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श्रील वेदव्यास जी बोले,"पुत्र भीम ! यदि आपको स्वर्ग बड़ा प्रिय लगता है, वहां जाने की इच्छा है और नरक से डर लगता है तो हर महीने की दोनों एकादशी को व्रत करना ही होगा।"

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भीम सेन ने जब ये कहा कि यह उनसे नहीं हो पाएगा तो श्रील वेद व्यास जी बोले,"ज्येष्ठ महीने के शुल्क पक्ष की एकादशी को व्रत करना। उसे निर्जला कहते हैं। उस दिन अन्न तो क्या, पानी भी नहीं पीना। एकादशी के अगले दिन प्रातः काल स्नान करके, स्वर्ण व जल दान करना। वह करके पारण के समय (व्रत खोलने का समय) ब्राह्मणों व परिवार के साथ अन्नादि ग्रहण करके अपने व्रत को विश्राम देना। जो एकादशी तिथि के सूर्योदय से द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक बिना पानी पीए रहता है तथा पूरी विधि से निर्जला व्रत का पालन करता है, उसे साल में जितनी एकादशियां आती हैंं उन सब एकादशियों का फल इस एक एकादशी का व्रत करने से सहज ही मिल जाता है।"

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यह सुनकर भीम सेन उस दिन से इस निर्जला एकादशी के व्रत का पालन करने लगे और वे पाप मुक्त हो गए। इस एकादशी को पांडव एकादशी, भीम एकादशी, भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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