हरियाली तीज 2022: इस व्रत को करने से आपको भी मिल सकता है मनचाहा वर

punjabkesari.in Thursday, Jul 28, 2022 - 10:46 AM (IST)

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हरियाली तीज एक ऐसा पर्व जो विवाहित और अविवाहित स्त्रियों दोनों के लिए ही बेहद खास होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार हरियाली तीज का ये त्यौहार सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथी को पड़ता है। मुख्य रूप से ये पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है, जिसे विशेषकर उत्तर भारत में बेहद धूम धाम से मनाया जाता है। लोक मत के अनुसार तीज के दिन स्त्रियां साज-श्रृंगार करके पति की लंबी आयु के लिए व्रत करती हैं और विधि वत रूप से भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा संपन्न करती हैं। हरियाली तीज का ये त्यौहार माता पार्वती और भगवान शिव के पुनर्मिलाप के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस दिन सभी स्त्रियां हाथों पर मेंहदी लगाती हैं, झूले झूलती हैं, मीठे पकवान जैसे गुजिया, घेवर, फैनी आदि मिष्ठान बनाती हैं तथा बेटियों के घर भेजती हैं। कहा जाता है कि ये व्रत करवा चौथ के व्रत से भी कठिन होता है क्योंकि महिलाएं इस दौरान बिना अन-जल ग्रहन किए इस व्रत को पूर्ण करती हैं। श्रावण मास में पड़ने के कारण इसे श्रावणी तीज भी कहा जाता है।
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व्रत विधि- 
हरियाली तीज के दिन विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। सुहागिन महिलाओं के मायके से उन्हें श्रृंगार का सामान व मिठाइयां आती हैं। इस दिन महिलाएं प्रातः उठकर घर के सारे काम कर 16 श्रृंगार करती हैं और निर्जला व्रत करती हैं और शिव-पार्वती का आह्वान करती हैं। 

पूजा के अंत में हरियाली तीज के व्रत से जुड़ी कथा का श्रवण किया जाता है। 

इसके उपरांत महिलाएं मां पार्वती से अपने पति परमेश्वर की दीर्घायु के लिए कामना करती हैं। 
 

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आखिर में पूजा-अर्चना करने के बाद वे झूले झूलती हैं और खुशियां मनाती हैं।  

व्रत कथा- 
पौराणिक कथाओं के अनुसार मां पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए अन-जल त्यागकर घोर तपस्या की थी। इस कठिन तप के फल स्वरूप मां पार्वती ने भोलेनाथ को पति रूप में पाया था। इससे जुड़ी मुख्य कथा के अनुसार मां पार्वती ने राजा हिमालय के घर जन्म लिया था और बचपन से ही वे शिव शंभु को अपने पति के रूप में पाना चाहती थी। एक दिन नारद जी हिमालय के पास गए और उन्हें मां पार्वती के विवाह के लिए भगवान विष्णु जी का सुझाव देने लगे। हिमालय राज को भी यह प्रस्ताव अच्छा लगा और उन्होंने इस रिश्ते के लिए सहमती दे दी।
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परंतु जब ये बात देवी पार्वती को पता चली कि उनके पिता ने उनका विवाह भगवान विष्णु से तैय कर दिया तब वे अत्यंत दुखी व क्रोधित हुई और क्रोधवश वह अपनी सखियों के साथ जंगल में चली गई। वहां जाकर उन्होनें कठोर तप शुरू कर दिया। ये सब देख शिव शंकर बेहद प्रसन्न हुए और उन्होंने मां पार्वती को इस मनोकामना के पूरे होने का आशीष दिया। जिसके परिणाम स्वरूप पार्वती मां के पिता ने उनका विवाह बड़ी धूम-धाम से करवाने का निर्णय लिया। तो इस तरह देवी पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति परमेश्वर के रूप में पा लिया।
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Content Writer

Jyoti

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