धनु लग्न- Stock Market में करोड़पति बनाने वाले योग

punjabkesari.in Thursday, Aug 21, 2025 - 08:30 AM (IST)

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Stock Market Astrology: आज हम धनु लग्न के जातकों के बारे में बात करेंगे। लग्न कुंडली से आय भाव, धन भाव देखे जाते हैं। दोनों भावों के कारक गुरु होते हैं और पंचम भाव देखा जाता है, जो सहज लाभ का भाव है, उसका कारक भी गुरु ही है तो, लग्न कुंडली से, हम विचार करेंगे कि ऐसे कौन से ग्रह संयोजन हैं जो अगर आपकी कुंडली में हैं, तो आपको ट्रेडिंग करनी चाहिए। अगर आपकी कुंडली में वह पैरामीटर नहीं है तो आपको ट्रेडिंग नहीं करनी चाहिए। तो हम चंद्रमा से शुरुआत करेंगे। चंद्रमा मन का कारक है। अगर कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत है, तो आप शेयर बाजार में अच्छा कर सकते हैं क्योंकि चंद्रमा आपको इतना विश्वास दिलाता है कि आपको कहां रुकना चाहिए और कहां ट्रेड लेना चाहिए। लोग ऐसे होते हैं जो महीने में 21 या 22 दिन बाजार में ट्रेडिंग करते हैं इसलिए वे मजबूरन 21 या 22 दिन ट्रेड लेने चले जाते हैं। ऐसा उनके मन की स्थिति के कारण होता है कि उन्हें आज ही ट्रेड लेना है। चाहे वह ट्रेड हो या न हो। वे फंसेंगे, नुकसान में निकलेंगे लेकिन वे ट्रेड जरूर लेंगे। तो यह आत्म-नियंत्रण जो आपको मिलता है, वह चंद्रमा देता है। 

मान लीजिए चंद्रमा लग्न में ही स्थित है तो अगर आपका सूर्य वृश्चिक राशि में यानी बारहवें भाव में या मकर राशि में यानी दूसरे भाव में है तो आपका चंद्रमा कमजोर हो जाएगा क्योंकि यह चंद्रमा सूर्य के बहुत करीब है। मान लीजिए चंद्रमा यहां स्थित है और आपका सूर्य ग्यारहवें भाव में या तीसरे भाव में स्थित है। अब यहां या तो तुला का चंद्रमा सूर्य बन जाएगा या आपका कुंभ राशि का सूर्य। तो यहां भी आपका चंद्रमा कमजोर हो जाएगा क्योंकि यहां चंद्रमा और सूर्य के बीच अधिकतम दूरी 70-80 डिग्री से अधिक नहीं होगी इसलिए जब चंद्रमा और सूर्य की दूरी 70-80 डिग्री के आसपास होती है तो यह चंद्रमा कमजोर होता है। इसे कमजोर चंद्रमा कहते हैं। यह आपको बाजार में टिकने नहीं देगा। अगर आप कोई जबरदस्ती का ट्रेड लेते हैं, तो आप घाटे में रहेंगे।

अब चंद्रमा मजबूत कैसे है ? यह हम कैसे जानेंगे ? मान लीजिए कि यहां पर चंद्रमा लेटा है और सूर्य आपके सामने तीसरी राशि यानी मिथुन राशि में है। अगर यह सातवें भाव में है तो इसका जन्म पूर्णिमा के आसपास होगा। यह चंद्रमा मजबूत है और अगर बृहस्पति की इस चंद्रमा पर दृष्टि है। मान लीजिए कि बृहस्पति आपके नौवें भाव में या आपके पांचवें भाव में लेटा है। जब आप धनु राशि की कुंडली बनाते हैं तो अगर सिंह राशि का बृहस्पति नौवें भाव में आता है तो उसकी दृष्टि सीधे आपके चंद्रमा पर पड़ेगी। यह चंद्रमा मजबूत हो जाएगा और अगर मान लीजिए कि आपका चंद्रमा पांचवें भाव में है यानी एक राशि में है यानी बृहस्पति मेष राशि में है तो भी बृहस्पति की दृष्टि आपके चंद्रमा पर आएगी, यह मजबूत हो जाएगा। यहां पर स्थिति ठीक रहेगी। सूर्य सातवें भाव में है मान लीजिए सूर्य यहां नहीं है। बृहस्पति की स्थिति भी यही है। आपका सूर्य 12 राशियों में है। अगर यह 6 में नहीं है, तब भी यह इसके लिए एक आदर्श स्थिति होगी जिससे आपका चंद्रमा ठीक रहेगा। तो यहां सबसे पहले हम देखेंगे कि आपकी कुंडली में चंद्रमा कैसा है ? क्या यह शुभ प्रभाव में है ? क्या यह सूर्य से दूरी पर है ? तो अगर यह दूरी पर है तो चंद्रमा ठीक है। अगर शनि 12वें भाव में बैठा है, राहु आपके चौथे भाव में है और मंगल पांचवें या छठे भाव में है, तो इन दोनों ही स्थितियों में आपका 12वां भाव तीन पाप ग्रहों के प्रभाव में पीड़ित होगा। मान लीजिए मंगल छठे भाव में बैठा है, शनि आमने-सामने है। अगर 12वें भाव में है, तो मंगल की सीधी दृष्टि होगी। राहु चौथे भाव में बैठा है।

यदि राहु की दृष्टि बारहवें भाव पर भी पड़ती है तो यह आपके बारहवें भाव को पीड़ित करेगा। मान लीजिए मंगल छठे भाव में नहीं है। यदि यह पांचवें भाव में है, तब भी यह अपनी आठवीं दृष्टि से उसे पीड़ित करेगा। मंगल भाग्य के सामने बैठा है, यह अभी भी उसे पीड़ित करेगा इसलिए यहां आपको यह देखना होगा कि आपका बारहवां भाव शुभ प्रभाव में है या पाप प्रभाव में है। यदि बारहवां भाव शुभ प्रभाव में है। गुरु चौथे भाव में बैठा है और यह पहले वाला योग नहीं है, तो गुरु की दृष्टि बारहवें भाव पर जाएगी, यह इसकी स्थिति को सही करेगा। तो यहां आपका बारहवां भाव शुभ प्रभाव में आएगा। यदि आपका पांचवां भाव अशुभ प्रभाव में है। पांचवें भाव में ही है, राहु आपके नौवें भाव में आ गया है अगर राहु का प्रभाव आप पर है, इस भाव पर इसका प्रभाव है तो यहां आपका पंचम भाव भी दो पाप ग्रहों के प्रभाव में आ जाएगा। यह स्थिति भी अच्छी नहीं है। अब हम आपके धन भाव और आय भाव पर आएंगे। जब आप धनु लग्न की कुंडली बनाएंगे तो आपके लिए धन आय भाव का स्वामी शुक्र बनेगा। एकादश भाव और शनि आपके लिए धन भाव का स्वामी बनेगा। अगर ये दोनों पीड़ित हैं तो आपका शुक्र अस्त है या आपका शुक्र 8वें भाव में, 12वें भाव में, 6वें भाव में, कालपुरुष चार्ट में 6वें भाव में नीच का हो जाता है, तब भी आप बाजार से ज्यादा पैसा नहीं प्राप्त कर पाएंगे। शुक्र एक ऐसा ग्रह है जो असीमित धन देता है क्योंकि हम चंद्रमा से तरल धन देखते हैं। हम बृहस्पति से संचित धन देखते हैं और शुक्र से असीमित धन आता है। शुक्र आपकी कुंडली में आय स्थान का स्वामी भी है, शनि की स्थिति अच्छी होनी चाहिए और बृहस्पति जो कि दोनों भावों का कारक है उसकी स्थिति अच्छी होनी चाहिए। 

आपका शुक्र आय भाव का स्वामी है वह केंद्र में बैठकर दशम भाव में ग्यारहवें भाव में आ जाता है या खुद ग्यारहवें भाव में बैठा है और आपका गुरु यहां पंचम भाव में बैठ जाता है तो यहां पर वह दृष्टि संबंध बनाएगा। गुरु आय भाव का कारक होने के साथ-साथ धन का कारक होने के कारण शुक्र से संबंध बनाएगा, अगर गुरु आय भाव को दृष्टि देगा तो निश्चित रूप से आपको यहां पर लाभ हो सकता है और यह एक अच्छा संयोग है। मान लीजिए कि गुरु पांचवें भाव में नहीं है। अगर गुरु सातवें भाव में बैठा है तब भी वह ग्यारहवें भाव को दृष्टि देगा। यहां पर भी स्थिति आपके अनुकूल है। अगर गुरु तीसरे भाव में भी है तो हालांकि धनु लग्न की कुंडली धनु राशि में बनने पर जब गुरु एकादश भाव का गुरु बनेगा तो वह अपने दोनों भावों का अच्छा फल नहीं दे पाएगा क्योंकि अपनी धनु राशि से वह तीसरे भाव में जाएगा और अपनी मीन राशि से वह बारहवें भाव में जाएगा। वह दो भावों का अच्छा फल नहीं दे पाएगा लेकिन चूंकि गुरु आय और धन का कारक है। आय भाव पर दृष्टि होगी, शुक्र पर दृष्टि होगी। तो यह आपको आय के मामले में थोड़ा भाग्यशाली जरूर बनाएगा। पांचवां भाव खराब न हो और आपका चंद्रमा खराब न हो, तो अगर यह संयोजन है, तो आप बाजार में काम कर सकते हैं। मान लीजिए आपका चंद्रमा केंद्र में पड़ा है और यह संयोजन बनता है। सूर्य उसके सामने है या सूर्य चौथे घर में है। अगर बृहस्पति शनि को देख रहा है या बृहस्पति बुध शुक्र को देख रहा है, तो निश्चित रूप से आपको बाजार में बहुत लाभ मिलेगा लेकिन धन भाव के स्वामी की स्थिति अच्छी होनी चाहिए। धन भाव की स्थिति अच्छी होनी चाहिए। यह शुक्र के घर में होना चाहिए। अब यहां, मान लीजिए कि बृहस्पति आपके दसवें घर में बैठता है और दूसरे घर को देखता है, तो यह भी शुभ प्रभाव में आ जाएगा। 

शनि धन भाव में पड़ा है, तो जिस घर में शनि बैठता है वह घर मजबूत होता है। गुरु की दृष्टि उस पर पड़ती है। यह दूसरा संयोजन है और मान लीजिए कि आपका शुक्र भी धन भाव में चला जाता है दोनों का आपस में मैत्री भाव है। अगर हम मित्रता कुंडली बनाएं तो वे सबसे अच्छे मित्रों की स्थिति में आएंगे और गुरु की दृष्टि उस पर पड़ रही है। यह संयोग भी उत्तम बनेगा और अगर चंद्रमा भी गुरु के साथ आ जाए और सूर्य आपके चतुर्थ भाव में आ जाए, तो भी यह बाज़ार में काम करने के लिए एक अच्छा संयोग बनेगा। अगर आपकी कुंडली में ऐसा संयोग है और आपका लग्न धनु है, तो आप बाज़ार में काम कर सकते हैं। अगर ऐसा कोई संयोग नहीं है, बारहवां भाव पीड़ित है, चंद्रमा पीड़ित है आपका शनि पीड़ित है और आपका शुक्र पीड़ित है तो आपको बाज़ार में काम करने से पहले थोड़ा सोचना चाहिए। 

नरेश कुमार
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Content Editor

Prachi Sharma

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