इस पाठ को पढ़ने वाले पर बरसती है शिव की अपरंपार कृपा

punjabkesari.in Thursday, May 31, 2018 - 05:12 PM (IST)

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महाकाव्य रामचरितमानस भारतीय संस्कृति में एक विशेष स्थान रखता है। उत्तर भारत में 'रामायण' के रूप में बहुत से लोगों द्वारा प्रतिदिन पढ़ा जाता है। शरद नवरात्रि में इसके सुंदर काण्ड का पाठ पूरे नौ दिन किया जाता है। रामायण मण्डलों द्वारा शनिवार को इसके सुन्दरकाण्ड का पाठ किया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि रामचरितमानस के पाठ से भोलेनाथ शिव की भी कृपा प्राप्त होती है। पाठ के पूर्व शिव जी की उपासना अवश्य करें। इससे मानस का पाठ विशेष लाभकारी होगा।
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श्लोक 
"वन्दे बोधमयं नित्यं गुरु , शंकर रूपिणम|
यमाश्रितो हि वक्रोपि , चन्द्रः सर्वत्र वन्द्यते||"

इस श्लोक में शिव जी को गुरु रूप में प्रणाम करके उनकी महिमा बताई गई है।


कोई भी पूजा उपासना करने के पूर्व इस श्लोक को पढ़ लेना चाहिए ताकि पूजा का पूर्ण फल मिल सके।


अगर पूजा में कोई समस्या आ जाय तो शिव कृपा से वह समाप्त हो जाती है।

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दूसरा दोहा

- दूसरा दोहा है - "महामंत्र जोई जपत महेसू , कासी मुकुति हेतु उपदेसू |"

- जब भी आप मंत्र जाप करना या सिद्ध करना चाहते हों उसके पहले यह दोहा पढना चाहिए।

- शिव जी की कृपा से तुरंत ही मंत्र सिद्ध भी होता है और प्रभावशाली भी।


तीसरा दोहा

- तीसरा दोहा है - "संभु सहज समरथ भगवाना , एही बिबाह सब विधि कल्याणा |"

- जब संतान के दाम्पत्य जीवन में समस्या आ रही हो तब इस दोहे का प्रभाव अचूक होता है।

- नित्य प्रातः शिव जी के समक्ष इस दोहे का १०८ बार जाप करें , फिर अपने संतान के सुखद दाम्पत्य जीवन की प्रार्थना करें ।
 

चौथा दोहा

- चौथा दोहा है - "जो तप करे कुमारी तुम्हारी , भावी मेटी सकही त्रिपुरारी |"

- अगर जीवन में ग्रहों या प्रारब्ध के कारण कुछ भी न हो पा रहा हो तो यह दोहा अत्यंत फलदायी होता है।

- इस दोहे को चारों वेला कम से कम १०८ बार पढने से भाग्य का चक्र भी बदल सकता है।

- परन्तु कुछ ऐसी कामना न करें जो उचित न हो।

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पांचवा दोहा

- पांचवा दोहा है "तव सिव तीसर नयन उघारा , चितवत कामु भयऊ जरि छारा |"

- अगर मन भटकता हो और अत्यंत चंचल हो तो यह दोहा लाभकारी होता है।

- जो लोग काम चिंतन और काम भाव से परेशान हों उनके लिए यह दोहा अत्यंत प्रभावशाली है।
 

छठवां दोहा

- छठवां दोहा है - "पाणिग्रहण जब कीन्ह महेसा , हिय हरसे तब सकल सुरेसा |

वेद मंत्र मुनिवर उच्चरहीं , जय जय जय संकर सुर करहीं ||"

- अगर विवाह होने में बाधा आ रही हो तो इस दोहे का जाप अत्यंत शुभ होता है।

- प्रातः काल शिव और पार्वती के समक्ष इस दोहे का जाप करने से शीघ्र और सुखद विवाह होता है।
 

सातवां दोहा

- सातवाँ दोहा है - "बिस्वनाथ मम नाथ पुरारी , त्रिभुवन महिमा विदित तुम्हारी |"

- अगर आर्थिक समस्याएँ ज्यादा हों या रोजगार की समस्या हो तो इस दोहे का जाप करना चाहिए।

- प्रातः और रात्रि के समय भगवान शिव के समक्ष कम से कम १०८ बार इस दोहे का जाप करना चाहिए।
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आठवां दोहा

- आठवां दोहा , शिव जी के द्वारा की गई श्री राम की स्तुति है ।

- यह उत्तरकाण्ड में छन्द के रूप में उल्लिखित है ।

- अगर केवल इसी स्तुति को नित्य प्रातः भाव से गाया जाय , तो जीवन की तमाम समस्याएँ मिट जाती हैं।

- इस स्तुति को करने से व्यक्ति की, जीवन में दुर्घटनाओं , अपयश तथा मुकदमों से रक्षा होती है।
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Jyoti

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