Kundli Tv- ये चमत्कारी मंत्र करेंगे कुंडली के सूर्य दोष को शांत

punjabkesari.in Saturday, Sep 01, 2018 - 01:16 PM (IST)

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जैसे कि सबको पता ही होगा कि हिंदू धर्म में सूर्य पूजा का विशेष स्थान है। सूर्य को न केवल प्रकाश देने वाला एक ग्रह बल्कि तेज़, ज्ञान प्राप्ति, निरंतर गति से कर्मशीलता, पथ और दिशा अनुशासन की प्ररेणा देने वाला भी माना जाता है। इसके साथ ही हिंदू धर्म में इनकी (सूर्य देव) की पूजा से व्यक्ति को निरोगी जीवन के साथ यश, सम्मान और प्रतिष्टा देने वाली मानी गई है। वहीं ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को सभी ग्रहों और नक्षत्रों का स्वामी माना गया है। इसके अनुसार रविवार के दिन सूर्य विशेष आराधना करते हैं। 

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श्री सूर्य मंत्र
आ कृष्णेन् रजसा वर्तमानो निवेशयत्र अमतं मर्त्य च।
हिरणययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन॥


सूर्य अर्घ्य मंत्र
ॐ ऐही सूर्यदेव सहस्त्रांशो तेजो राशि जगत्पते।
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणार्ध्य दिवाकर: ॥
ॐ सूर्याय नम:, ॐ आदित्याय नम:, ॐ नमो भास्कराय नम:।
अर्घ्य समर्पयामि॥

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सूर्य गायत्री मंत्र
ॐ आदित्याय विद्महे मार्तण्डाय धीमहि तन्न सूर्य: प्रचोदयात्।


सूर्य उपासना मंत्र
ॐ जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम्।
तमो रि सर्वपषपघ्नं सूर्यमषवषह्याम्यहम्॥

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सूर्य बीज मंत्र
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:।
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सूर्य जाप मंत्र
ॐ सूर्याय नम:। ॐ भास्कराय नम:। ऊं रवये नम:। ऊं मित्राय नम:। ॐ भानवे नम:। ॐ खगय नम:। ॐ पुष्णे नम:। ॐ मारिचाये नम:। ॐ आदित्याय नम:। ॐ सावित्रे नम:। ॐ आर्काय नम:। ॐ हिरण्यगर्भाय नम:।


सूर्य ध्यान मंत्र
ध्येय सदा सविष्तृ मंडल मध्यवर्ती।
नारायण: सर सिंजासन सन्नि: विष्ठ:॥
केयूरवान्मकर कुण्डलवान किरीटी।
हारी हिरण्यमय वपुधृत शंख चक्र॥
जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाधुतिम्।
तमोहरि सर्वपापध्‍नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम्॥
सूर्यस्य पश्य श्रेमाणं योन तन्द्रयते।
चरश्चरैवेति चरेवेति!
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Jyoti

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