Somvati Amavasya: सोमवती अमावस्या पर नहाने का ये तरीका बनाएगा आपको मुकद्दर का सिकंदर
punjabkesari.in Monday, Sep 02, 2024 - 01:11 AM (IST)
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Somvati Amavasya Remedies And Rituals: अमावस्या का दिन विशेष पूजा और तर्पण के लिए समर्पित किया जाता है, जिससे पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और घर में सुख-समृद्धि आती है। सोमवती अमावस्या वह अमावस्या होती है जो सोमवार के दिन पड़ती है। यह विशेष रूप से पुण्यकाल मानी जाती है, जब भक्त व्रत रखकर विशेष पूजा और दान करते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार नए चन्द्रमा के पहले दिन को अमावस्या कहा जाता है। यह प्रभावाशाली दिन होता है क्योंकि बहुत सारे ऐसे कार्य होते हैं जो केवल अमावस्या तिथि को ही किए जा सकते हैं। 2 सितंबर सोमवार को सोमवती अमावस्या पड़ रही है। मान्यता है कि अमावस्या तिथि अशुभ होती है लेकिन जब यह सोमवार को आ जाए तो ये अतिशुभ हो जाती है। सोमवार को भगवान शिव का दिन कहा जाता है, उस दिन सोमवती अमावस्या का आना पूर्णरूपेण शिवजी को समर्पित होता है।
अमावस्या के दिन गंगा स्नान का बहुत अधिक महत्व है। यदि गंगा जी जाना संभव न हो तो प्रात: किसी भी पवित्र नदी अथवा सरोवर में स्नान किया जा सकता है। कहा जाता है कि महाभारत में भीष्म ने युधिष्ठिर को इस दिन का महत्व समझाते हुए कहा था कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने वाला मनुष्य समृद्ध, स्वस्थ्य और सभी दुखों से मुक्त होता है।
ऐसा भी माना जाता है कि स्नान करने से पितरों कि आत्माओं को शांति मिलती है। इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करके तुलसी जी, शंकर-पार्वती जी की विधि-विधान सहित पूजा करके मां गौरी को सिंदूर चढ़ा श्रृंगार की वस्तुएं श्रद्धापूर्वक भेंट करनी चाहिए। पूजा के बाद चढ़ाए हुए सिंदूर में से थोड़ा लेकर सुहागिनें अपनी मांग में भरकर मां पार्वतीजी से अखंड सुहाग एवं सौभाग्य के लिए प्रार्थना करें। यह पुण्यकाल देवताओं को भी दुर्लभ होता है।
शास्त्रों के अनुसार इस दिन व्रत करने वाले प्रात:काल उठकर स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें और पीपल वृक्ष के समीप जाकर उसकी जड़ सहित भगवान विष्णु का पूजन करें। इस दिन पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति के लिए श्राद्ध की रस्में करना उपयुक्त है। कालसर्प दोष निवारण की पूजा करने से शीघ्र फल मिलता है। शिव परिवार और तुलसी का पूजन करें। मान्यता है कि तुलसी की 108 बार प्रदक्षिणा करने से घर की दरिद्रता भाग जाती हैl इस दिन धान, पान और खड़ी हल्दी को मिला कर उसे विधान पूर्वक तुलसी को चढ़ाया जाता है।