Som Pradosh Vrat Katha: सोम प्रदोष के दिन जरूर पढ़ें व्रत कथा, जीवन में चल रहे हर दुख का होगा नाश

punjabkesari.in Monday, May 20, 2024 - 07:12 AM (IST)

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Som Pradosh Vrat Katha: सोम प्रदोष व्रत हर महीने के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखने का विधान है। इसकी पूजा प्रदोष काल में होती है। सोम प्रदोष व्रत और पूजा को बहुत ही शुभ माना जाता है। प्रदोष व्रत वाले दिन व्रत रखने और शिव जी की पूजा करने से मन की हर मनोकामना पूरी होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। जो शिव भक्त सोम प्रदोष व्रत रख रहे हैं अथवा नहीं रख रहे हैं, वह यह कथा जरूर पढ़ें। कथा पढ़े बिना व्रत अधूरा माना जाता है। सोम प्रदोष व्रत कथा पढ़ने वाले व्यक्ति पर सदैव भोले बाबा की कृपा बनी रहती है। जीवन में चल रहे हर संताप का नाश होता है। तो आइए जानते हैं सोम प्रदोष की व्रत कथा के बारे में-

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Som Pradosh Vrat Katha सोम प्रदोष व्रत कथा
सोम प्रदोष व्रत कथा के अनुसार, एक नगर में एक विधवा गरीब ब्रह्माणी रहती थी। वह रोज भिक्षा मांगकर अपना और अपने बेटे का पेट पालती थी। उसके पति का स्वर्गवास काफी समय पहले हो गया था। सुबह होते ही वह अपने बेटे के साथ भिक्षा मांगने नगर में निकल जाती थी।

एक बार ब्रह्माणी भिक्षा मांग कर घर वापस लौट रही थी, तभी एक बालक उसे घायल अवस्था में मिला। वह उस घायल बालक को घर ले आई। घायल बालक से उसे पता चला कि वह विदर्भ देश का राजकुमार है। उसके राज्य पर शत्रुओं का हमला हुआ था, जिसमें वह घायल हो गया और पिता को बंदी बना राज्य पर अधिकार कर लिया गया, इसलिए वह मारा-मारा फिर रहा था।

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वह राजकुमार अब ब्रह्माणी के घर पर रहने लगा। एक दिन अंशुमति नामक एक गंधर्व कन्या ने राजकुमार को देखा और उस पर मोहित हो गई। अगले दिन राजकुमारी अपने माता-पिता को राजकुमार से मिलाने लेकर आई। वह दोनों राजकुमार से मिलकर बहुत प्रसन्न हुए। कुछ दिनों बाद राजकुमारी के माता-पिता को शंकर भगवान ने स्वप्न में आदेश दिया कि राजकुमार और अंशुमति  का विवाह कर दिया जाए, उन्होंने वैसा ही किया।

वह विधवा ब्राह्मणी प्रदोष व्रत करती थी। उस व्रत के पुण्य के प्रभाव से अंशुमति के पिता की सेना की मदद से राजकुमार ने विदर्भ से शत्रुओं को भगाया और अपने पिता का राज्य पुनः प्राप्त किया। फिर वह सुख पूर्वक जीवन व्यतीत करने लगा। राजकुमार विदर्भ का राजा बना और उसने ब्राह्मणी के बेटे को अपना प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया। ब्राह्मणी के प्रदोष व्रत के कारण भगवान शिव की कृपा से राजकुमार और ब्राह्मणी पुत्र के दिन सुधर गए।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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