Som Pradosh: जीवन को सही दिशा देने के लिए माघ मास के प्रदोष व्रत पर करें शिवलिंग का विशेष अभिषेक
punjabkesari.in Sunday, Jan 26, 2025 - 02:16 PM (IST)
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Som Pradosh Vrat 2025: माघ मास का प्रदोष व्रत आध्यात्मिक महत्व अत्यधिक रखता है। यह व्रत विशेष रूप से शिव जी की पूजा के लिए होता है और माघ मास के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। प्रदोष व्रत का पालन खासकर उस दिन किया जाता है, जब सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच का समय होता है, जिसे प्रदोष काल कहा जाता। आइए जानते हैं इस व्रत के कुछ विशेष पहलुओं के बारे में:
आध्यात्मिक उद्देश्य-आत्मिक उन्नति और सच्ची शांति
प्रदोष व्रत केवल बाहरी पूजा तक सीमित नहीं होता। इसका एक गहरा आत्मिक उद्देश्य है आध्यात्मिक शुद्धता और आत्मिक उन्नति। इस दिन शिवजी की पूजा के साथ-साथ अपने भीतर की नकारात्मकताओं जैसे घृणा, क्रोध, लालच और अहंकार को समाप्त करने का प्रयास करें। इसका उद्देश्य बाहरी पूजा से ज्यादा अपनी आंतरिक भावनाओं को शुद्ध करना है। यह दिन आत्म-निर्माण और समर्पण का होता है।
सोम प्रदोष व्रत में मंत्र जाप का महत्व
अक्सर प्रदोष व्रत में शिव महिमा और महामृत्युंजय मंत्र का जाप विशेष रूप से किया जाता है। हालांकि आपको मंत्रों के बारे में जानकारी मिल सकती है लेकिन यह समझना कि इन मंत्रों का उद्देश्य सिर्फ शिवजी से आशीर्वाद लेना नहीं है, बल्कि मानसिक शांति और माया के बंधन से मुक्त होने के लिए है, यह शायद कम ही जगह बताया जाता है। महामंत्युजय मंत्र का जाप करते समय, ध्यान रखें कि इसका उद्देश्य आपके भीतर की नकारात्मकता को समाप्त करना और सही दिशा में जीवन को आगे बढ़ाना है।
महामंत्युजय मंत्र- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्, उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्
भगवान शिव के साथ मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की शुद्धि
प्रदोष व्रत के दौरान शरीर को शुद्ध करने का भी महत्व है। जब आप इस दिन उपवासी रहते हैं या केवल फलाहार करते हैं, तो यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करता है, बल्कि मानसिक शुद्धता को भी बढ़ाता है। यह व्रत शरीर को शक्ति और ऊर्जा देने के साथ ही आत्मिक शांति का अनुभव भी कराता है। खासकर माघ मास में, प्रदोष व्रत का पालन और भी ज्यादा प्रभावशाली होता है क्योंकि यह समय धार्मिक और मानसिक उन्नति के लिए शुभ होता है।
शिवलिंग का विशेष अभिषेक
प्रदोष व्रत के दौरान शिवलिंग का अभिषेक करना खास होता है, लेकिन ध्यान रखें कि केवल जल और दूध से ही अभिषेक न करें। आप गंगाजल, बिल्व पत्र, शहद और विशेष रूप से ताजे फूलों का इस्तेमाल करें, जो शिवजी की पूजा में शुभ माने जाते हैं। यह सामग्री आपके मन और शरीर दोनों को शुद्ध करती है।
प्रदोष व्रत के बाद की अवधि का महत्व
प्रदोष व्रत का पालन करने के बाद का समय बहुत महत्वपूर्ण होता है। गूगल पर यह अधिकतर ध्यान नहीं दिया जाता, लेकिन इस समय को ध्यान और साधना के लिए समर्पित करना जरूरी है। व्रत के बाद शांतिपूर्वक ध्यान लगाना, शिव की साधना करना और अपने जीवन के उद्देश्य पर ध्यान केंद्रित करना व्रत का सार्थकता को और भी बढ़ाता है। यह समय मानसिक और आंतरिक शक्ति को पुनः स्थापित करने का है।
प्रदोष व्रत और जीवन में संतुलन
प्रदोष व्रत सिखाता है कि जैसे शिवजी अपने बाहरी रूप में संसार के साथ तालमेल रखते हैं, वैसे ही हमें अपने जीवन में कार्यों और साधना के बीच संतुलन बनाना चाहिए। प्रदोष व्रत जीवन में मानसिक और शारीरिक कार्यों के बीच संतुलन स्थापित करने का एक गहरा प्रतीक है। जीवन में केवल भौतिक उपलब्धियों के पीछे दौड़ना नहीं चाहिए बल्कि आत्मिक और मानसिक शांति भी उतनी ही जरूरी है।
प्रदोष व्रत का सकारात्मक असर:
अगर आपने माघ मास के प्रदोष व्रत को पूरी श्रद्धा और निष्ठा से किया है, तो यह न केवल आपके जीवन को मानसिक शांति देगा, बल्कि आपकी कार्यक्षमता और निर्णय क्षमता में भी सुधार करेगा। यह आपको अधिक ध्यान केंद्रित करने की शक्ति देता है और आपके आत्मविश्वास को बढ़ाता है। यह समय जीवन में नकारात्मकता से बाहर निकलने और सकारात्मकता को अपनाने का है।
सारांश:
माघ मास का प्रदोष व्रत न केवल शिव पूजा का अवसर है, बल्कि यह आत्मिक शुद्धता, मानसिक संतुलन और जीवन के सही मार्ग को अपनाने का दिन है। इस दिन की पूजा में जो गहरी मानसिकता छिपी है, उसे सही तरीके से निभाया जाए, तो यह व्रत जीवन को एक नई दिशा दे सकता है।