दुनिया का सबसे रहस्यमयी जीव है नाग, जानिए इससे जुड़ी खास बातें
punjabkesari.in Wednesday, Feb 12, 2020 - 03:58 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
अगर हिंदू धर्म की बात की जाए तो इसमें न केवल देवी-देवताओं की नहीं बल्कि जानवरों के साथ-साथ पेड़-पौधों तक की पूजा की जाती है। इन्हें पूजे जाने का कारण भी हिंदू धर्म के देवी-देवता ही हैं। क्योंकि तमाम देवी-देवताओं के अपने वाहन हैं, साथ ही साथ ही इनका किसी न किसी पेड़-पौधे से कोई न कोई संबंध है। इतना ही नहीं बल्कि इनकी विधिवत पूजा भी की जाती, जिसके लिए इन्हें खास दिन भी प्रदान हैं। अब आप यकीनन इतना तो समढ ही गए होंगे कि आज हम अपने इस आर्टिकल में आपको देवी-देवताओं के वाहनों से जुड़ी ही कोई जानकारी देने वाले हैं तो बता दें आपका सोचना गलता है। हम आज आपको बताने वाले देवों के देव महादेव से संबंध रखने वाले नाग देवता के बारे में। शास्त्रों के इनके रूप का वर्णन किया गया जिसमें बताया गया है कि शिव जी अपने गले में आभूषण के तौर पर इसे धारण करते हैं। अब एक सवाल आप सब के मन में जरूर आया होगा कि कि क्या यहीं मुख्य कारण है जिसके चलते नाग देवता की पूजा होती है, उन्हें पूजनीय माता जाता है। आइए हम देते हैं आपके इस प्रश्न का उत्तर-
बता दें प्रत्येक वर्ष सावन के माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है। हालांकि अन्य कई धर्मों में नाग को शैतान माना जाता है। परंतु असल में नाग उतना बुरा नहीं है। अगर बात की जाए भारतीय संस्कृति की तो इसकी यह विशेषता है कि इसमें जीवन को पोषित करने वाले जीवनोपयोगी पशु-पक्षी, पेड़- पौधे एवं वनस्पति सभी को आदर दिया गया है। जिसका अर्थात हुआ कि नाग भी इन्हीं में से एक है।
जहां एक ओर गाय, पीपल, बरगद एवं तुलसी आदि की पूजा होती है, वहीं दूसरी ओर अपने एक ही दंश से मनुष्य की जीवनलीला समाप्त करने वाले नाग की पूजा भी की जाती है। शास्त्रों में इस विषधर जीव को देवतुल्य और रहस्यमय प्राणी माना गया है, परंतु यह ईश्वर नहीं है।
नाग की विशेषता यह है कि यह मानव से अधिक बुद्धिमान और चीज़ो को होशपूर्वक देखने में सक्षम होता है।
धार्मिक दृष्चिकोण से देखें तो एक ओर जहां भगवान विष्णु शेषनाग पर शयन करते हैं तो दूसरी ओर भगवान शिव नाग को गले में आभूषण के तौर पर धारण किए रहते हैं। इसके अलावा देवों और दानवों द्वारा किए गए सागर मंथन के समय सुमेरु पर्वत को मथनी तथा वासुकि नाग को रस्सी बनाया गया था। कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि नागों एवं सर्पों का सृष्टि के विकास से बहुत पुराना संबंध है।