Smile please: कर्म वही जो सबका भला करे, जानिए सच्चे कर्म की परिभाषा

punjabkesari.in Sunday, Jul 27, 2025 - 07:00 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Smile please: हमारा दिमाग ही हमारी सोच का स्रोत है। जब दिमाग अशांत होता है तो हमें उस समय हर चीज में उथल-पुथल नजर आती है। हर चीज में बुराई नजर आती है। जब हमारा मन शांत होता है तो हम खुशमिजाज रहते हैं, हर चीज अच्छी लगने लगती है। सब को खुश करना मुश्किल है पर सबके साथ खुश रहना आसान है। ‘हार्वर्ड स्टडी ऑफ एडल्ट डिवैल्पमैंट’ के डायरेक्टर रॉबर्ट वालीडगर के अनुसार मजबूत मधुर संबंध खुशी की प्रमुख वजह हो सकते हैं। हम सब एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं। अपने आसपास पड़ोसी से अच्छे संबंध रखते हैं तो हमें मानसिक शांति मिलती है। मजबूत समर्थन भी मिलता है जो हमें सुकून देता है।  -शिखर चंद जैन

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माता-पिता को अपने बच्चों के साथ प्यार-मोहब्बत व दोस्तों की तरह रहना चाहिए। हर वक्त डांट-डपट नहीं करनी चाहिए। इससे बच्चों का स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है। बच्चों के दोस्त बनें, फिर बच्चे आपसे कोई बात नहीं छुपाएंगे, हर बात आपसे शेयर करेंगे। -दर्शना भल्ला

पहले जमाने में फटे कपड़े-फटे जूते पहनना अपशगुन माना जाता था, आजकल फटे कपड़े पहनते हैं और कहते हैं, यह आजकल का फैशन है। जिस काम को अपशगुन तथा अमंगल माना जाता था, वही काम शुभ माने जा रहे हैं।—महेश गुरु

अपने को संकट में डाल कर कार्य संपन्न करने वालों की विजय होती है, कायरों की नहीं।—जवाहरलाल नेहरू

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विश्वास वह पक्षी है जो प्रभात के पूर्व अंधकार में ही प्रकाश का अनुभव करता है और गाने लगता है। —रबींद्रनाथ टैगोर

ऐसे स्थान को छोड़ देना चाहिए, जहां धन तो है लेकिन सम्मान नहीं। —विनोबा भावे

अच्छे शब्दों के इस्तेमाल से बुरे लोगों का भी दिल जीता जा सकता है। —भगवान बुद्ध
वही कर्म श्रेष्ठ है, जिससे सबको सुख प्राप्त हो।

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Content Editor

Prachi Sharma

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