Skanda Shashti 2021: सुख और वैभव के लिए इस विधि से करें पूजा
punjabkesari.in Wednesday, Jun 16, 2021 - 08:30 AM (IST)

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Skanda Sashti 2021: स्कंद षष्ठी तिथि पर भगवान कार्तिकेय की विशेष रूप से आराधना की जाती है। प्रत्येक माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि कुमार कार्तिक जी को समर्पित है। दक्षिण भारत में इनकी पूजा मुरुगन स्वामी के रूप में बहुतायत में की जाती है। दक्षिण भारत कितना समृद्ध और शिक्षित है, ये तो जाहिर ही है। भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कुमार कार्तिकेय को सदैव कुमार रहने का वरदान मिला है। इनकी आराधना भक्तों को ऊर्जावान रखती है। भगवान कार्तिकेय जी कैलाश छोड़कर मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आ गए थे। स्कंद षष्ठी को ही उन्होंने तारकासुर नमक दैत्य का वध किया। देवों को उनका राज वापिस दिलाया। कुमार कार्तिकेय जी की षष्ठी तिथि पर छ: प्रकार से पूजा करने पर उनकी विशेष कृपा मिलती है। सुख-समृद्धि, ज्ञान, शौर्य और हर प्रकार की निधियों को देने वाले कुमार कार्तिकेय को एं विधियों से प्रसन्न करें। जानते हैं वह छ: खास विधियां, जिन्हें करने पर सुख और वैभव का वास घर में हमेशा रहेगा।
Skanda Shashti vrat: स्कंद षष्ठी के व्रत को करने से मंगल बलवान और शुभ होता है। मंगल ग्रह और दक्षिण दिशा के स्वामी होने से इनकी भक्ति अपने भक्तों को वैभवशाली व बलशाली बनाती है।
Skanda Shashti Upay: कुमार कार्तिकेय को चम्पा के 108 फूलों की माला गुरु विश्वामित्र द्वारा उल्लेखित उनके 108 नामों का जाप करते हुए अर्पित करें। ये फूल उन्हे अत्यंत प्रिय हैं। इससे धन की सम्पन्नता बनी रहेगी।
Skanda Shashti Puja: घर की दक्षिण दिशा में बैठ कर लाल आसन लगा कर कुमार कार्तिकेय गायत्री मंत्र का जाप करते हुए विजय श्री की कमना करें। हर क्षेत्र में जीत प्राप्त होगी। कार्तिकेय गायत्री मंत्र- 'ॐ तत्पुरुषाय विधमहे: महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कंदा प्रचोदयात'। यह मंत्र हर प्रकार के दुख एवं कष्टों के नाश के लिए प्रभावशाली है।
भगवान कार्तिकेय को शुद्ध देसी घी की धार अर्पित करें। इसके पश्चात शहद व दूध से अभिषेक करें। वैभवशाली जीवन की प्राप्ति होगी।
भगवान कार्तिकेय जी को मयूर पंख का चंवर अर्पित करें। हर प्रकार की विपदा से प्रभु आपकी सहायता करेंगे।
स्कन्द षष्ठी को घर की दक्षिण दिशा में कार्तिकेय जी का प्रतीकात्मक चिन्ह मोर का चित्र लगाएं।
स्कन्द षष्ठी को भगवान कार्तिकेय जी को गंगा जल अवश्य अर्पित करें। संताप और व्याधि से मुक्ति मिलती है एवं बहुमूल्य वस्तुओं की प्राप्ति होती है।
नीलम
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