सीता नवमी 2021: श्रद्धापूर्वक पढ़ेंगे श्री जानकी स्तुति तो दूर होंगे सारे दुख-दर्द
punjabkesari.in Thursday, May 20, 2021 - 04:25 PM (IST)

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21 मई को वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी का पर्व मनाया जाएगा। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार इस दिन माता सीता का प्राक्ट्य हुआ था। जिस कारण इस दिन का अधिक महत्व माना जाता है। शास्त्रों में इस दिन की महत्वता के साथ-साथ कई कुछ बताया गया है। वाल्मीकि रामायण में इनके जन्म के लेकर इनके धरती में समा जाने तक का संपूर्ण वर्णन मिलता है। ज्योतिषी बताते हैं सीता नवमी के दिन इनकी आराधना करने से श्री राम की भी कृपा प्राप्त होती है। तो आइए आपको बताते हैं देवी जानकी की एक ऐसी स्तुति के बारे में, जिसके रचयिता है तुलसीदास जी। कहा जाता है स्तुति का पाठ करने वाले व्यक्ति की तमाम इच्छाएं पूर्ण होती है तथा देवी सीता की कृपा प्राप्त होती है। तो अगर आप भी चाहते हैं कि आपको देवी सीता की कृपा मिले तो इस सीता नवमी के दिन इस स्तुति का पाठ ज़रूर करें।
तुलसीदासजी द्वारा रचित श्री जानकी स्तुति
भई प्रगट कुमारी भूमि-विदारी जनहितकारी भयहारी।
अतुलित छबि भारी मुनि-मनहारी जनकदुलारी सुकुमारी।।
सुन्दर सिंहासन तेहिं पर आसन कोटि हुताशन द्युतिकारी।
सिर छत्र बिराजै सखि संग भ्राजै निज-निज कारज करधारी।।
सुर सिद्ध सुजाना हनै निशाना चढ़े बिमाना समुदाई।
बरषहिं बहुफूला मंगल मूला अनुकूला सिय गुन गाई।।
देखहिं सब ठाढ़े लोचन गाढ़ें सुख बाढ़े उर अधिकाई।
अस्तुति मुनि करहीं आनन्द भरहीं पायन्ह परहीं हरषाई।।
ऋषि नारद आये नाम सुनाये सुनि सुख पाये नृप ज्ञानी।
सीता अस नामा पूरन कामा सब सुखधामा गुन खानी।।
सिय सन मुनिराई विनय सुनाई सतय सुहाई मृदुबानी।
लालनि तन लीजै चरित सुकीजै यह सुख दीजै नृपरानी।।
सुनि मुनिबर बानी सिय मुसकानी लीला ठानी सुखदाई।
सोवत जनु जागीं रोवन लागीं नृप बड़भागी उर लाई।।
दम्पति अनुरागेउ प्रेम सुपागेउ यह सुख लायउं मनलाई।
अस्तुति सिय केरी प्रेमलतेरी बरनि सुचेरी सिर नाई।।
दोहा-
निज इच्छा मखभूमि ते प्रगट भईं सिय आय।
चरित किये पावन परम बरधन मोद निकाय।।