यहां गणेश जी के साथ बैठकर चित्रगुप्त करते हैं कर्मों का लेखा-जोखा!
punjabkesari.in Wednesday, Aug 28, 2019 - 05:19 PM (IST)
ये नहीं देखा तो क्या देखा (VIDEO)
जैसे कि अपनी वेबसाइट के माध्यम से हम आपको बता ही चुके हैं कि 2 सिंतबर से गणपति बप्पा का त्यौहार शुरू होने वाला है। बता दें प्रत्येक देवी-देवता की पूजा से पहले गणपति बप्पा की ही पूजा होती है क्योंकि इन्हें प्रथम पूज्य देवता का दर्जा प्राप्त है। सोमवार यानि भाद्रपद की चतुर्थी के दिन हर तरफ़ बप्पा के नाम की ही गूंद सुनाई देने वाली है। इतना ही नहीं बल्कि लोग देशभर में स्थित इनके प्राचीन मंदिरों में जाकर इना आशीर्वाद भी प्राप्त करते हैं।
ठहरिए ठहरिए क्या आप भी इस गणेश उत्सव बप्पा के दर्शनों के लिए जाना चाहते थे पर किसी कारणवश जा नहीं पा रहें तो उदास न हों। क्योंकि हम आपको अपनी वेबसाइट के जरिए घर बैठे-बैठे आपको गजानन के प्राचीन मंदिरों के दर्शन करवाएंगे।
अपनी इसी कड़ी को जोड़ते हुए आज हम आपके लिए लाएं हैं जयपुर का गणेश मंदिर जहां सूर्य देव की पहली किरणों से होते है गणपति के चरणों का अभिषेक। गणेश भगवान का ये मंदिर जयपुर शहर के सूरजपोल बाज़ार में स्थित है, जिसे सिद्धि विनायक के नाम से भी जाना जाता है। बता दें यहां पर भगवान गणेश के साथ-साथ राधा-कृष्ण और चित्रगुप्त भी विराजमान हैं। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यहां सूर्यदेव की पहली किरणों से गजानन के चरणों का अभिषेक होता हैं कहने का मतलब ये है कि सूर्य की पहली किरणें बप्पा के चरणों में पड़ती है।
खास है बप्पा की प्रतिमा
इस मंदिर में स्थापित गणेश जी की प्रतिमा श्वेत संगमरमर की है, जिस कारण इस मंदिर को श्वेत सिद्धि विनायक के नाम से प्रसिद्धि हासिल हुई। मंदिर के निर्माण को लेकर जयपुर के महाराजा सवाई राम सिंह से जुड़ी मान्यता प्रचलित है। लोक मान्यताओं द्वारा मंदिर की नींव माघ कृष्ण पंचमी को रखी गई थी।
गणेश जी की दक्षिणावर्ती श्वेत प्रतिमा इस मंदिर की सबसे बड़ी ये है कि इसकी स्थापना तांत्रिक विधि-विधान की गई थी। यही कारण है कि यहां गणेश जी की प्रतिमा पर सिंदूर का चोला नहीं चढ़ाया जाता है। बल्कि प्रतिमा का केवल दूध एवं जल से ही अभिषेक होता है।
चित्रगुप्त का मंदिर से क्नकेशन
इस मंदिर में भगवान यम के मुनीम चित्रगुप्त का भी मंदिर स्थापित है। मान्यता है कि इस मंदिर की ईशान कोण में स्थापना लोगों के पाप-पुण्य का लेखा-जोखा रखने के लिए ही की गई थी। श्रद्धालुओं का कहना है कि भगवान चित्रगुप्त यहां सभी श्रद्धालुओं के पाप-पुण्य का लेखा-जोखा रखते हैं।