Shradh Paksha 2025: कौए को भोजन करवाए बिना अधूरा है श्राद्ध, पढ़ें कथा

punjabkesari.in Wednesday, Sep 17, 2025 - 02:46 PM (IST)

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Why do we feed crows in Shradh: धर्मशास्त्रों में लिखा है कि पिंड रूप में कौओं को भी भोजन कराना चाहिए। ब्रह्मा जी ने सत्व, रज और तमोगुण के मिश्रण के साथ सृष्टि का निर्माण किया। पक्षियों में कौआ तमोगुण से युक्त है। पुराणों में कौए को यम का पक्षी माना गया है। तमोगुण का रंग भी काला है तथा कौए का भी। मान्यता है कि पितर काक के रूप में अपना भाग लेने आते हैं।

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एक किंवदंती के अनुसार पहले कौओं का रंग काला नहीं होता था, वे उजले सफेद होते थे। उसकी चतुराई से प्रभावित होकर एक बार ऋषियों ने एक कौवे को अमृत लेने के लिए भेजा। अमृत उस समय राक्षसों के पास था। वह कौवा वहां से अमृत तो ले आया लेकिन लालसा में उसने पात्र में चोंच मारकर अमृत का स्वाद चख लिया।

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जब ऋषियों को इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने कौवे को काला होने का श्राप दे दिया। तभी से ही ये काले रंग के हो गए। अमृत का स्वाद चखने के कारण इनकी स्वाभाविक मृत्यु नहीं होती अर्थात यह दीर्घजीवी हैं। कौवा मनुष्य में दादा से पड़पोते तक की चार आयु को जी लेता है।

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एक थाली पितरों के लिए, एक गाय के लिए, एक कौवे और कुत्ते के लिए निकालनी चाहिए ताकि हमारे पूर्वज किसी भी रूप में प्रसन्न होकर आशीष दें और कार्य सफल हो। हमारा अस्तित्व पूर्वजों के ही कारण है। अगर हमारे पितृ हमारे किए श्राद्ध कर्म से प्रसन्न होंगे तभी हम समृद्ध होंगे। पितरों को श्रद्धासुमन अर्पित करने को ही श्राद्ध कर्म कहा जाता है।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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