शीतला मंदिर: क्या है यहां के अद्भुत घड़े का रहस्य

punjabkesari.in Wednesday, Mar 27, 2019 - 09:54 AM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (Video)
जैसे कि आप सबको पता ही होगा कि आज यानि 27 मार्च, बुधवार को शीतला सप्तमी का दिन है। इस दिन शीतला माता की पूजा का काफी विधान है। बता दें कि हिन्दू कैलेंडर के अनुसाप शीतला सप्तमी का ये पावन त्योहार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। तो वहीं कुछ जगहों पर ये व्रत अष्टमी तिथि पर मनाया जाता है। मान्यताओं के अनुसार होली के बाद चैत्र मास की अष्टमी से लेकर वैशाख, ज्येष्ठ और आषाढ कृष्ण पक्ष की अष्टमी माता शीतला की पूजा-अर्चना को समर्पित होती है। तो आज हम आपको इसी खास मौके पर आपको शीतला माता के ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी मान्यता तो है ही परंतु इससे जुड़ा एक रहस्य ऐसा है जो आपको दंग कर सकता है। हम बात कर रहे हैं राजस्थान के पाली जिले में शीतला माता के मंदिर की। यहां एक अनोखी परंपरा सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है। इससे पहले कि आप सोचने लगें हम आपको बता दें कि उस परंपरा के अनुसार यहां एक घड़ा है जो लगभग आधा फीट गहरा और इतना ही चौड़ा है। इस घड़े को वर्ष में दो बार भक्तों के लिए खोला जाता है।
PunjabKesari, kundli tv, Shitala mandir image
मां शीतला का यह घड़ा वैज्ञानिकों के लिए भी एक अनसुलझी पहेली बना हुआ है। लगभग 800 वर्षों से यह घड़ा भक्तों के लिए दो बार खुलता है। इस घड़े में लाखों लीटर जल चढ़ाया जा चुका है लेकिन ये अाज तक पूरा नहीं भरा है। माना जाता है कि इस घड़े में कितना भी जल डाला जाए यह नहीं भरता। कहा जाता है कि इस घड़े का जल एक राक्षस पीता है, जिसके कारण यह पानी से पूरा नहीं भर पाता।
PunjabKesari, kundli tv, Shitala mandir image
स्थानीय लोगों के अनुसार लगभग 800 वर्षों से गांव में यह परंपरा चली आ रही है। घड़े से साल में दो बार पत्थर हटाया जाता है- शीतला सप्तमी और ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन। इन दोनों दिनों में गांव की महिलाएं कलश भरकर इसमें हजारों लीटर पानी चढ़ाती हैं लेकिन यह घड़ा कभी नहीं भरता। अंत में मंदिर का पुजारी माता के चरणों से लगाकर दूध का भोग लगाता है तो घड़ा पूरा भर जाता है। उसके पश्चात पत्थर द्वारा घड़े का मुंह बंद कर दिया जाता है। इन दोनों दिनों मे गांव में मेला भी लगता है। वैज्ञानिकों ने भी इस घड़े का रहस्य जानने की कोशिश की लेकिन उन्हें भी सफलता नहीं मिली। कोई भी यह पता नहीं लगा पाया कि घड़े का जल कहां जाता है। 
PunjabKesari, kundli tv, Shitala mandir image
माना जाता है कि आज से 800 वर्ष पूर्व गांव में बाबरा नामक दैत्य आया। जब भी किसी ब्राह्मण की बेटी का विवाह होता तो दैत्य उसके दूल्हे को मार देता। सभी दैत्य के आंतक से परेशान थे। ब्राह्मणों ने शीतला माता की तपस्या की। माता ने ब्राह्मण के स्वप्न में आकर कहा कि जब उसकी बेटी की शादी होगी, वह दिन राक्षस की जिंदगी का आखिरी दिन होगा। उसी दिन मैं राक्षस का वध कर दूंगी। विवाह में शीतला माता एक कन्या के रूप में आई और राक्षस का वध कर दिया। 
PunjabKesari, kundli tv, Shitala mandir image
दैत्य ने मरते समय शीतला माता से वरदान मांगा कि गर्मियों में उसे बहुत प्यास लगती है। इसलिए वर्ष में दो बार उसे जल अवश्य पिलाएं। शीतला माता ने उसकी यह अंतिम इच्छा पूर्ण की। तभी से वर्ष में दो बार यह परंपरा निभाई जाती है। गांव की महिलएं कलश में जल लेकर घड़े में डालती हैं लेकिन यह नहीं भरता। इस अवसर पर वहां मेला भी लगता है। जिसमें बहुत सारे श्रद्धालु आते हैं।
Periods में औरतों को क्यों माना जाता है अछूता ?(video)


 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Jyoti

Recommended News

Related News