महाभारत काल से जुड़ा है शीतला माता का ये मंदिर
punjabkesari.in Friday, Mar 15, 2019 - 03:12 PM (IST)
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आज सूर्य कुंभ राशि से मीन राशि में प्रवेश कर गए हैं, जिससे चैत्र में आने वाले मां शीतला के मेलों का आरंभ हो गया है। आज यानी 15 मार्च से लेकर एक महीने तक भक्त मां को कच्ची लस्सी से स्नान करवाकर विभिन्न प्रकार के फल प्रसाद अर्पित करेंगे। मान्यता है कि जो भी भक्त ऐसा करते हैं उनके घर-परिवार में सारा साल सुख-शांति बनी रहती है। मां के प्राचीन मंदिरों का तो आलम ये रहता है की सुबह से ही भक्तों की लाइनें लगना शुरू हो जाती हैं।
कहा जाता है कि इस दौरान देश में स्थापित शीतला मां के मंदिरों में भक्तों का बहुत बड़ा जमावड़ा देखने को मिलता है। तो आइए आज इसी खास मौके पर हम आपको शीतला माता के एक ऐसे ही मंदिर के दर्शन करवाते हैं, जो अपने आप में बहुत प्रसिद्ध है। माना जाता है इस मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है।
हम बात कर रहे हैं कि गुड़गांव में स्थित प्राचीन शीतला माता के मंदिर की, जो देशभर के लोगों की असीम आस्था का केंद्र है। यहां साल में दो बार पूरे एक-एक महीने का मेला लगता है, जिस दौरान तो काफी संख्या में भक्त मां के दर्शन करने आते ही हैं परंतु इसके अलावा नवरात्रि में शीतला माता के दर्शन के लिए अलग-अलग देश से लाखों की तादाद में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।
बता दें कि शासन ने यहां होने वाले मेलों की सुरक्षा व सुविधाओं के लिए अलग से शीतला माता श्राइन बोर्ड का गठन किया हुआ है जिसकी देख-रेख में मेले के सभी काम किए जाते हैं। माना जाता है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं में सबसे ज्यादा तादाद उत्तर प्रदेश, राजस्थान व हरियाणा के लोगों की होती है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार गुरु द्रोण की नगरी गुड़गांव में महाभारत के समय से गुरु कृपाचार्य की पत्नी की शीतला देवी (गुरु मां) के नाम से पूजा होती थी। कहा जाता है कि लगभग 500 सालों से यह मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। यहां पर देश के कोने-कोने से लोग मां को प्रसन्न करने हेतु पूजा-पाठ करने आते हैं।
मान्यता है कि इस मंदिर में पूजा करने से शरीर पर निकलने वाले दाने, जिन्हें स्थानीय बोलचाल में माता कहा जाता है, वो हमेशा हमेशा के लिए ठीक हो जाते हैं। इसके साथ ही यहां नवजात के बालों का पहला मुंडन भी होता है।
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