Sharad Purnima: शरद पूर्णिमा से जुड़ी हैं ये परंपराएं और पौराणिक कथाएं, एक बार अवश्य पढ़ें क्या है इस रात का राज
punjabkesari.in Monday, Oct 06, 2025 - 07:18 AM (IST)

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Sharad Purnima Story 2025: शरद पूर्णिमा, जिसे आश्विन पूर्णिमा, रास पूर्णिमा और कोजागर पूर्णिमा भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। यह पूर्णिमा साल की 12 पूर्णिमाओं में सबसे विशेष मानी जाती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है और धरती पर अमृत वर्षा करता है। इसे पौराणिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना गया है। शरद पूर्णिमा केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह स्वास्थ्य, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है। इस दिन चंद्रमा की पूर्णता, अमृत वर्षा और लक्ष्मी जी के जन्म की कथा हमें सिखाती है कि श्रद्धा, भक्ति और सरल उपायों से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाई जा सकती है।
The Legend of Sharad Purnima शरद पूर्णिमा की पौराणिक कथा: कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के समय देवताओं और असुरों ने मिलकर अमृत प्राप्त किया। अमृत की प्राप्ति के बाद देवताओं ने इसे धीरे-धीरे ग्रहण करने का प्रयास किया। इसी समय चंद्र देव अपनी पूर्णता में थे और उन्होंने अमृत का प्रकाश अपने किरणों में धरती पर फैलाया। कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणों में रखी खीर और अन्य प्रसाद अमृत समान हो जाते हैं।
एक और कथा के अनुसार, इस दिन लक्ष्मी जी का जन्म हुआ था। इसलिए शरद पूर्णिमा को धन, समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। भक्त इस दिन जागरण करते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं और रात भर चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करते हैं। यह माना जाता है कि जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा और भक्ति से शरद पूर्णिमा का पालन करता है, उसके जीवन से रोग, कष्ट और मानसिक तनाव दूर होते हैं।
Traditions of Sharad Purnima शरद पूर्णिमा की परंपराएं: इस दिन खीर बनाकर चांदनी में रखना और उसका सेवन करना विशेष लाभकारी होता है। खीर को रात में चंद्रमा की किरणों में रखने से इसे औषधि और अमृत समान माना जाता है। सुबह सूर्योदय से पहले इस खीर का सेवन करने से स्वास्थ्य लाभ, मानसिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है। भक्त इस दिन घर की साफ-सफाई करते हैं, दीपक जलाते हैं और लक्ष्मी जी व चंद्रमा की पूजा करते हैं।