Shani Vakri 2025: 138 दिन के लिए शनि वक्री, 03 राशियों पर संकट के दस्तक

punjabkesari.in Sunday, Jul 06, 2025 - 07:00 AM (IST)

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Shani Vakri 2025: शनि देव वक्री होने जा रहे हैं। 138 दिन का पीरियड है जब शनि देव मीन राशि में वक्री हो जाएंगे। अब मीन राशि में जब शनि देव वक्री हो रहे हैं, तो उसका आपके ऊपर क्या असर पड़ेगा ? ट्रांजिट में हर प्लेनेट का एक अलग तरीके से असर होता है। ट्रांजिट में कुछ राशियों के लिए अच्छा होता है और कुछ राशियों के लिए खराब होता है। इस आर्टिकल में हम चर्चा करेंगे कि आपके ऊपर आपकी राशि के ऊपर इसका क्या असर होने जा रहा है। क्योंकि मीन राशि में जब शनि है तो कुछ राशियों के ऊपर साढ़ेसाती चल रही है। कुछ राशियों के लिए ये गोचर अच्छा होगा और कुछ राशियों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इस आर्टिकल में बात करेंगे शनि वक्री किन राशियों के लिए परेशानी का कारण बनेगा। 

कुंभ राशि: कुंभ राशि के जातकों के लिए शनि का यह गोचर जो हो रहा है, वह दूसरे भाव में हो रहा है। यानी कि कुंभ राशि के जातक शनि की साढ़ेसाती के आखिरी प्रभाव में है। यानी कि आखिरी ढैया है उनके ऊपर चल रही है। इस राशि के जितने भी जातक शतभिषा नक्षत्र में पैदा हुए हैं और उनके ऊपर इस समय शनि की दशा, महादशा भी चल रही है। यदि आपकी उम्र 30 से 50 साल के बीच है। राशि कुंभ है तो आपके ऊपर शनि की ढैया भी चल रही है और शनि की साढ़ेसाती शनि की महादशा भी चल रही है। तो महादशा नाथ का वक्री हो जाना आपके लिए थोड़ा सा अच्छा नहीं है इसलिए थोड़ा सा आपको सावधानियां जरूर रखनी पड़ेंगी। कारण यह है कि यह आपकी राशि के स्वामी भी हैं। शनि आपके लिए 12वें भाव के भी स्वामी हैं। 12वां आपका खर्चे, मोक्ष का स्थान होता है। शनि की मूल त्रिकोण राशि जरूर लग्न में है। राशि के स्वामी का दूसरे भाव में जाकर वक्री होना यह आपके धन की हानि कर सकता है। यहां पर आपको थोड़ी सी दिक्कत हो सकती है। खासतौर पर यदि आपके ऊपर महादशा भी शनि की चल रही है क्योंकि महादशा में शनि वह दोनों भावों के फल कर जाएंगे। कुंभ राशि के जितने भी जातक हैं उनके खर्चे बढ़ सकते हैं। सबसे पहले दूसरा क्योंकि वह दूसरे भाव में बैठे हैं, फोर्थ को देख रहे हैं। आपकी मदर का विचार यहां से किया जाता है। तो कुंभ राशि के जितने भी जातक हैं उनको अपनी मदर की हेल्थ को लेकर कंसर्न हो सकते हैं, थोड़ी सी चिंता बढ़ सकती है इन 138 दिनों में। तीसरा यहां पर शनि आपके लिए सीधी दृष्टि दे रहे हैं अष्टम भाव में। आपकी राशि के स्वामी का दूसरे जाकर अष्टम को देखना यह आपके अष्टम के सिग्निफिकेंट डिस्टर्ब करेगा। आपकी सीक्रेसी कॉम्प्रोमाइज हो सकती है इसलिए अपने पासवर्ड जरूर चेंज करिए। मदर की हेल्थ का जरूर ध्यान रखिए। आपके दूसरे भाव में बैठे शनि दशम को दृष्टि दे रहे हैं। प्रमोशन से जुड़ी चीज़ें आपकी लटक सकती हैं। यहां पर आपको थोड़ी सी दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। हो सकता है कि आपको थोड़ा सा हेल्थ इशू भी आए क्योंकि 12वां एक्टिव है। 12वां हॉस्पिटलाइजेशन का भी भाव होता है। तो खासतौर पर जिनका शतभिषा नक्षत्र है उनके लिए तो यह दिक्कत ही है क्योंकि दशा महादशा भी शनि की चल रही है। जिनका नहीं है उनको भी थोड़ा सा जरूर ध्यान रखना चाहिए क्योंकि ढैया चल रही है। शनि का ढैया के आखिरी फेस में आकर वक्री हो जाना अच्छा नहीं है। दूसरा स्थान मारक स्थान भी होता है और शनि अव्वल दर्जे के मारक होते हैं इसलिए कुंभ राशि के जितने भी जातक हैं वो इन्हें 138 दिनों के दौरान अपनी जो हेल्थ का जरूर ध्यान रखें। ऑफिस में किसी भी तरह की पॉलिटिक्स में इन्वॉल्व न हो। यदि आपको आपके ऊपर कोई आरोप लगता है, कोई दोषारोपण लगता है तो कोशिश करिए कि वहां से निकलने की कोशिश करिए क्योंकि चीजें ज्यादा दिक्कत भरी हो सकती हैं क्योंकि शनि का गोचर आपके लिए फेवरेबल नहीं है। 

सिंह राशि: सिंह राशि के जातकों के लिए शनि का गोचर हो रहा है अष्टम भाव में। अष्टम भाव में शनि गोचर कर रहे हैं क्योंकि यहां पर सिंह राशि के लिए जो मीन राशि अष्टम में आ जाती है। इसको अष्टम ढैया बोलते हैं शनि की। तो जब शनि अष्टम ढैया में होते हैं तो निश्चित तौर पर परेशान करते हैं। अष्टम भाव आपकी आयु का भाव है, शनि आयु के कारक हैं। सडन लॉस अष्टम से ही आता है। तो जब शनि अष्टम में बैठते हैं तो आपके लिए दो चीजें ज्यादा खराब हो सकती हैं। एक तो आपका कर्म स्थान प्रभाव में आ गया। तीसरी दृष्टि से दशम भाव को देख रहे हैं तो कर्म भाव से संबंधित चीजें हैं उनके रिजल्ट आपको डिले मिलने शुरू हो जाते हैं। सिंह राशि के जितने भी जातक हैं वो शनि के 138 दिन के इस गोचर के दौरान थोड़ा सा सावधान जरूर रहें। एक राशि अष्टम में शनि की एक राशि सप्तम में आ जाती है और एक राशि छठे भाव में आ जाती है। सिंह राशि की यदि हम कुंडली बनाएंगे तो मकर राशि आपके छठे भाव में आएगी और कुंभ राशि आपके सप्तम भाव में आ जाएगी। तो छठे और सातवें दोनों का स्वामी होने के कारण सिंह राशि के जातकों के लिए शनि वैसा ही अच्छा फल वैसे भी अच्छा फल नहीं करते और यदि इन दोनों स्थानों का स्वामी अष्टम में चला जाए तो वह अच्छा नहीं है। मैरिड हैं तो पार्टनर को लेकर बिजनेस पार्टनर को लेकर या लाइफ पार्टनर को लेकर दिक्कत हो सकती है। दूसरा शनि की सीधी दृष्टि आपके दूसरे भाव पर है। छठे भाव का स्वामी शनि अष्टम में जाना गोचर में और उसका वक्री हो जाना छठे भाव से संबंधित फलों को भी खराब करेगा। छठा रोग, ऋण, शत्रु का भाव है और यदि शनि यहां पर वक्री अवस्था में है, आपके कर्म को खराब कर रहे हैं। संतान पक्ष से भी आपको परेशानी हो सकती है। तो थोड़ा सा संतान की हेल्थ का भी ध्यान रखना पड़ेगा। कारोबार में भी थोड़ा सा हो सकता है कि दिक्कतें आ जाए। अपनी हेल्थ भी आपकी कॉम्प्रोमाइज हो सकती है। यदि कोर्ट केस वाला भी इशू आए आपको लगे कि कहीं करना ही करना है किसी के ऊपर तो वह थोड़ा सा ध्यान रखिएगा। सिंह राशि के जातकों के लिए 138 दिन शनि का वक्री होना अच्छा नहीं है। सिंह राशि के जो जो जातक मघा नक्षत्र में पैदा हुए हैं जिनकी उम्र 30 से 40 साल के बीच है उनके ऊपर मंगल की दशा चल रही है। मंगल और शनि सिक्स 8 एक्सिस में भी आ जाएंगे, यह भी अच्छा नहीं है। सिंह राशि के बहुत सारे जातक हैं जो मंगल की दशा में हैं। मंगल शनि 68 एक्सिस में आएंगे। वक्री मंगल वक्री शनि मंगल के साथ 68 एक्सिस में आना भी अच्छा नहीं है। सिंह राशि के जातकों के लिए यह थोड़ा सा जरूर चिंता का विषय हो सकता है। 

धनु राशि: धनु राशि के जातकों के लिए शनि का यह गोचर इसलिए अच्छा नहीं है या वक्री होना इसलिए अच्छा नहीं है क्योंकि धनु राशि के जातक इस समय शनि की ढैया से गुजर रहे हैं। शनि आपकी राशि से चौथे भाव में गोचर कर रहे हैं। यह केंद्र का भाव है, शनि आपकी कुंडली में उस भाव से गोचर कर रहे हैं जहां से हम सुख देखते हैं। पीस ऑफ माइंड यहां से देखा जाता है, इसे सुख स्थान कहते हैं, यह मदर का भाव है। यहां पर से शनि का गोचर का मतलब है कि दसवीं दृष्टि आपकी राशि के ऊपर जा रही है। आपकी राशि के ऊपर शनि का नेगेटिव इंपैक्ट पहले ही है और उस राशि उस गोचर के दौरान शनि का वक्री हो जाना यह भी अच्छा नहीं है। शनि धनु राशि के लिए अच्छा फल नहीं करते वैसे भी क्योंकि शनि जो है उसके लिए धनु राशि के लिए मारक स्थान के स्वामी हो जाते हैं। तीसरा अष्टम का अष्टम होता है तो वह भी एक तरीके से अच्छा नहीं है। तो धनु राशि क्योंकि गुरु की राशि है उसके लिए शनि वैसे ही अच्छा फल नहीं करते। जब चंद्रमा से चौथे आ जाएंगे और वहां पर वक्री अवस्था में है तो हो सकता है कि उसके सिग्निफिकेंट ज्यादा खराब हो। तीसरी दृष्टि छठे भाव के ऊपर है, गारंटी किसी की मत लीजिए। यदि आपका जन्म मूल नक्षत्र का है तो मंगल की दशा में है। 30 से 40 साल के जो युवा हैं इस समय धनु राशि के वो मंगल की दशा में हैं। मूला नक्षत्र वाले खासतौर पर तो किसी की गारंटी मत लीजिएगा। मंगल के साथ सिक्स 8 एक्सिस में आ जाएंगे। मंगल और शनि आमने-सामने भी आएंगे। शनि यहां पर चौथे भाव और भाव में बैठकर तीसरी दृष्टि से छठे भाव को देखेंगे। तो छठा भाव आपका रोग का भाव है। ऋण का भाव है, शत्रु का भाव है, किसी की फाइनेंशियल और लीगल गारंटी मत लीजिएगा। कोर्ट केस के मामले में हो सकता है कि आपको चीजें आपके फेवर में न आ जाए। इसके लिए आपको मंगल की रेमेडी करनी चाहिए। तीसरा यदि आपको लगे कि कहीं कोई आपको फिजिकल समस्या आ रही है, डॉक्टर कोई एडवाइस कर रहे हैं, तो उसे गंभीरता से लीजिए ताकि आपको कोई दिक्कत न हो। शनि यहां पर बैठे हैं, सीधी दृष्टि आपके कारोबार के स्थान को देंगे। कारोबार से संबंधित चीजें स्लो हो सकती हैं। आपको हो सकता है कि नौकरी जहां पर आप करते हैं, वहां पर चीजें आपके फेवर में न जाएं। जितने भी धनु राशि के जातक हैं उनको ध्यान रखना है। वैसे तो छठे का गोचर शनि का अच्छा होता है। शनि आपका राहु-केतु एक्सिस में है। शनि मंगल के साथ सम सप्तक में है।

शनि के उपाय:

ब्लैक कलर थोड़ा सा अवॉइड करें। 

उड़द की दाल शनिवार शाम को दान कर सकते हैं। जब भी कोई दान करना है तो अपने नाम का अपने राशि का नक्षत्र का और गोत्र का संकल्प लेकर करना है। संकल्प लेकर किया गया दान सात्विक दान कहलाता है। उसके बिना यदि आप दान करेंगे तो वह दान आपको लगता नहीं है। इसकी टाइमिंग आपकी शाम की ही रहेगी। इसके अलावा शनिदेव की आरती में भाग ले सकते हैं।

शनि देव की शिला पर तेल अर्पित कर सकते हैं। 

नरेश कुमार
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Content Editor

Prachi Sharma

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