Shani Jayanti 2021: इन मंत्रों के जप से खत्म होगा शनि साढ़ेसाती व ढैया का कुप्रभाव

punjabkesari.in Thursday, Jun 10, 2021 - 11:07 AM (IST)

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आज 10 जून ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन एक साथ सनातन धर्म केे कई त्यौहार मनाए जा रहे हैं। ये त्यौहार है वट सावित्री व्रत, शनि जयंती, ज्येष्ठ अमावस्या, रोहिणी व्रत। अपनी वेबसाइट के माध्यम से हम आपको इन तमाम त्यौहारों आदि की जानकारी दे चुके हैं। इसी बीच अब हम आपको बताने जा रहे हैं शनि देव से जुड़े कुछ खास मंत्रों के बारे में। ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को काफी क्रोधित ग्रह व देव माना गया है। इसलिए लोग इनसे अधिकतर डरते हैं, और चाहते हैं कि कभी इनकी साढ़ेसाती व ढैया का प्रभाव उन पर न पड़े। परंतु अगर ऐसा हो जाए तो कहा जाता है शनि जयंती के दिन इनकी पूजा अर्चना के साथ-साथ खास मंत्रों का जप करना चाहिए। इससे इनकी शुभ दृष्टि तो प्राप्त होती ही है, साथ ही साथ जीवन में यश, सुख, समृद्धि, कीर्ति, पराक्रम, वैभव, सफलता और अपार धन-धान्य के साथ प्रगति के द्वार खुलते हैं। तो आइए जानते हैं कौन से हैं वो चमत्कारी मंत्र- 

बीज मंत्र-
ॐ शं शनैश्चराय नम:

शनि का वेदोक्त मंत्र-
ॐ शमाग्निभि: करच्छन्न: स्तपंत सूर्य शंवातोवा त्वरपा अपास्निधा:

श्री शनि व्यासवि‍रचित मंत्र-  
ॐ नीलांजन समाभासम्। रविपुत्रम यमाग्रजम्।
छाया मार्तण्डसंभूतम। तम् नमामि शनैश्चरम्।।

शनिचर पुराणोक्त मंत्र-
सूर्यपुत्रो दीर्घेदेही विशालाक्ष: शिवप्रिय: द
मंदचार प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मे शनि:

शनि स्तोत्र-
नमस्ते कोणसंस्‍थाचं पिंगलाय नमो एक स्तुते
नमस्ते बभ्रूरूपाय कृष्णाय च नमो ए स्तुत
नमस्ते रौद्रदेहाय नमस्ते चांतकाय च
नमस्ते यमसंज्ञाय नमस्ते सौरये विभो
नमस्ते मंदसज्ञाय शनैश्चर नमो ए स्तुते
प्रसाद कुरू देवेश दिनस्य प्रणतस्य च
कोषस्थह्म पिंगलो बभ्रूकृष्णौ रौदोए न्तको यम:
सौरी शनैश्चरो मंद: पिप्लदेन संस्तुत:
एतानि दश नामामी प्रातरुत्थाय ए पठेत्
शनैश्चरकृता पीडा न कदचित् भविष्यति

तंत्रोक्त मंत्र-
ॐ प्रां. प्रीं. प्रौ. स: शनैश्चराय नम:।


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Content Writer

Jyoti

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