Sawan Shivratri 2021: आज आधी रात को करें ये प्रयोग, धन पाने का अतिशुभ मौका
punjabkesari.in Friday, Aug 06, 2021 - 11:21 AM (IST)

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Sawan Shivratri 2021: सावन मास की शिवरात्रि भक्तों को विशेष फल देने वाली है। शिवरात्रि के पर्व पर भगवान शिव के जलाभिषेक का विशेष महत्व है। इस दिन जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से भगवान शिव की आराधना करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और सारे संकट पल में दूर हो जाते हैं। भगवान शिव का अभिषेक कर पाया जा सकता है छप्पड़फाड़ धन, कर्जों से मुक्ति, व्यापार में प्रगति और विद्या में उन्नति। सावन में चंद्र राशि वाले भगवान शिव को क्या करें अर्पण ताकि अधिकतम लाभ मिले।
सावन शिवरात्रि का शुभ मुहूर्त
विद्वानों का कहना है की जब सावन शिवरात्रि सोमवार के दिन आती है तो बहुत शुभ और मंगलकारी होती है। शिवरात्रि का शुभ समय मध्य रात्रि माना गया है। इस समय को निशिता काल कहा जाता है। राशि अनुसार करें पूजन
मेष- जल में गुड़ डाल कर अभिषेक करें और मीठी रोटी का भोग लगाएं। लाल चंदन, कनेर या लाल पुष्प अर्पित करें।
वृष- दही अर्पित करें। सफेद चंदन, सफेद फूल और अक्षत चढ़ाएं।
मिथुन- गन्ने का रस अभिषेक हेतु अत्यंत फलदायी है। दूर्वा, कुशा व हरी मूंग की दाल अर्पित करें।
कर्क- शुद्ध घी तथा कच्चे दूध से अभिषेक करें ।
सिंह- गुड़ मिश्रित जल से अभिषेक करें। गेहूं चढ़ा सकते हैं। खीर का अर्पण भी मान्य है।
कन्या- गन्ने के रस से अभिषेक करें। दूर्वा, पान या भांग के पत्ते चढ़ा सकते हैं।
तुला- इत्र, सुगंधित जल, तेल, सेंन्ट आदि से अभिषेक करें और शहद, दही अर्पित करें ।
वृश्चिक- पंचामृत का अभिषेक कल्याणकारी कहा गया है। लाल पुष्प अर्पित करें ।
धनु- केसर या हल्दी युक्त दुग्ध से अभिषेक के बाद गेंदे या पीले फूल चढ़ाएं।
मकर- नारियल के जल का अभिषेक श्रेष्ठ है। उड़द दाल से निर्मित मिष्ठान या काले उड़द भी चढ़ा सकते हैं। नील कमल अर्पित करें ।
कुंभ- तिल के तेल से शिवलिंग को स्नान करवाकर उड़द से निर्मित मीठी वस्तु का भोग लगाएं। शमी के फूल चढ़ाएं।
मीन- केसर युक्त दुग्ध से स्नान कराएं तथा पीली सरसों या नाग केसर अर्पित करें। गेंदे के फूल चढ़ा सकते हैं।
सावन में अभीष्ट कार्य सिद्धि के अनुभूत, दुर्लभ एवं विशेष प्रयोग
विशेष : एक आधुनिक नवीनतम विचारधारा के अनुसार शिवलिंग पर दूध चढ़ा कर उसे नष्ट करने की बजाय जरुरत मंद लोगों के मध्य वितरित किया जाना चाहिए।
कुछ धार्मिक संस्थानों व संस्थाओं ने इसका प्रावधान किया है ताकि अर्पित किया गया दूध एवं सामग्री प्रसाद के रुप में ही बांटी जाती है और उसका दुरुपयोग नहीं होता। चढ़ाया गया समस्त दूध एक स्थान पर एकत्रित हो जाता है और उसका वितरण सही ढंग से किया जाता है जिससे धार्मिक कृत्य भी संपन्न हो जाता है और दूध का सही उपयोग भी हो जाता है।