आषाढ़ संकष्टी चतुर्थी: 1 क्लिक में जानिए शुभ मुहूर्त से लेकर पूजन विधि

punjabkesari.in Sunday, Jun 27, 2021 - 10:03 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक मास में जिस तरह एकादशी, प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि का पर्व पड़ता है। ठीक उसी प्रकार हर माह बप्पा को समर्पित संकष्टी चतुर्थी का पर्व भी पड़ता हैै। जिसके उपलक्ष्य में गणपति बप्पा के भक्त बड़े ही उत्साह के साथ सर्वप्रथम पूज्य गणेश जी की पूजा अर्चना करते हैं। आज याानि आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 27 जून को आषाढ़ी संकष्टी चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चूंकि इस बार रविवार को बप्पा का यह त्यौहार पड़ रहा है, इसलिए इस दौरान रविवती संकष्टी चतुर्थी का संयोग बनेगा। यूं तो प्रत्येक चतुर्थी तिथि शुभ व लाभदायक मानी जाती है, परंतु रविवती संकष्टी चतुर्थी योग के बनने से इस दिन का महत्व और बढ़ गया है। माना जा रहा है कि कि जिन जातकों की कुंडली में सूर्य अशुभ फल दे रहा है, उन्हेण गणेश भगवान की पूजा आज अनेक प्रकार के लाभ दिला सकती है। जान लें धार्मिक ग्रंथों आदि के मुताबिक चतुर्थी का व्रत सूर्योदय से आंरभ होकर चंद्रदोय तक किया जाता। रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देने के उपरांत इसे खोला जाता है। तो आइए जानते हैं इस दिन कैसे गणेश जी को प्रसन्न किया जा सकता है। 

संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त-
रविवार 27 जून 2021- शाम 3.54 मिनट से सोमवार, 28 जून 2.16 मिनट तक 

चंद्र दर्शन- 27 जून 

चंद्रोदय का समय- रात 09.05 मिनट तक

व्रत पारण का समय- 28 जून।

पूजा विधि- 
इस दिन स्नान आदि से निवृत होने के बाद हल्के लाल या पीले रंग के कपड़े पहनें।
भगवान गणेश की तस्वीर या मूर्ति को लाल रंग का कपड़ा बिछाकर उसके ऊपर रखें। 
बप्पा की पूजा करते वक्त पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ मुंह करें और दीप जलाकर लाल गुलाब के फूलों से भगवान गणेश का श्रृंगार करें।
ध्यान रहें पूजा में तिल के लड्डू और केले का भोग लगाएं। 
गुड़, रोली, चावल, फूल और तांबे के लोटे में जल भी पूजा में अर्पित करें।
इसके अलावा शाम को चंद्रमा निकलने से पहले गणपति जी की एक बार और पूजा करें और संकष्टी व्रत कथा का फिर से पाठ करें।
 
पुराणों के अनुासर संकष्टी चतुर्थी व्रत अधिक महत्व रखता है, इस दिन पूजा और व्रत करने से जातक के हर तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं। तो वही अगर गणेश पुराण की मानें तो इस पावन व विशेष व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को सुख-सौभाग्य, समृद्धि और संतान सुख प्राप्त होता है। 


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Content Writer

Jyoti

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