विदाई के समय चावल क्यों फेंकती हैं दुल्हन? जानें धार्मिक मान्यता
punjabkesari.in Wednesday, Nov 19, 2025 - 04:22 PM (IST)
Rice Throwing Ritual: भारतीय विवाह में विदाई का क्षण सबसे भावुक और हृदयस्पर्शी होता है। जब दुल्हन अपने मायके से विदा होकर अपने नए जीवन की शुरुआत के लिए ससुराल जाती है, तो एक महत्वपूर्ण रस्म निभाई जाती है। वह अपने सिर के ऊपर से चावल और कभी-कभी सिक्के पीछे की ओर फेंकती है। यह रस्म केवल एक परंपरा नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरा धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व छिपा है। यह केवल एक रस्म नहीं, बल्कि देवी लक्ष्मी के आशीर्वाद और मायके के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का एक शक्तिशाली तरीका है। तो आइए जानते हैं, इस पारंपरिक रस्म के पीछे छिपा हुआ धार्मिक महत्व और यह क्यों माना जाता है कि दुल्हन ऐसा करके अपने माता-पिता के घर में कभी धन-धान्य की कमी नहीं होने देती।
देवी लक्ष्मी का प्रतीक और कृतज्ञता
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, विवाह से पहले दुल्हन को घर की देवी लक्ष्मी का रूप माना जाता है। चावल को हिन्दू धर्म में धन, समृद्धि और अखंडता का प्रतीक माना जाता है। जब दुल्हन अपने मायके की ओर चावल फेंकती है, तो वह यह कामना करती है कि उसके जाने के बाद भी माता-पिता के घर में कभी भी धन-धान्य की कमी न हो और हमेशा बरकत बनी रहे। यह क्रिया दुल्हन द्वारा अपने मायके के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का तरीका भी है। वह यह दर्शाती है कि उसने अपने माता-पिता के घर का सारा कर्ज चुका दिया है और अब वह अपने नए परिवार के लिए जिम्मेदारी लेने को तैयार है।

नए जीवन का स्वागत
दुल्हन द्वारा अपने पीछे मुड़े बिना चावल फेंकना यह दिखाता है कि उसने अब अतीत के जीवन को पीछे छोड़ दिया है और वह बिना किसी लगाव के अपने नए जीवन और नए परिवार को पूरी तरह से अपनाने के लिए तैयार है। इस रस्म के बाद, दुल्हन ससुराल में गृह प्रवेश करती है और नए घर की समृद्धि और खुशहाली की जिम्मेदारी लेती है।

शुभता और मंगल कामना
चावल को सबसे पवित्र और शुभ अनाजों में से एक माना जाता है, इसलिए इसे फेंकने का कार्य मायके और ससुराल दोनों के लिए मंगल कामना का प्रतीक होता है। फेंके गए चावल को दुल्हन के भाई, पिता या माता अपनी झोली में लेते हैं, जो इस आशीर्वाद को स्वीकार करने का प्रतीक होता है।

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