कहीं आपकी कुंडली में भी तो नहीं ये Dangerous दोष अगर हां तो...

punjabkesari.in Saturday, Jan 04, 2020 - 04:21 PM (IST)

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शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसकी जन्मकुंडली में कभी किसी भी तरह का दोष पैदा हुआ होगा। कहते हैं हर किसी के जीवन में कभी न कभी ऐसा मोड़ आता है जब उसको हर तरफ़ से केवल परेशानियां ही परेशानियां घेर लेती है। मगर इसका असल कारण क्या है वो समझ नहीं पाता। वो इसलिए क्योंकि हर किसी को ज्योतिष से जुड़ी बातों के बारे में जानकारी नहीं होती। दरअसल बहुत बार ऐसा होता है कि कुंडली के दोष हमारे आगे लाखों मुश्किलें लाकर खड़ा कर देते हैं जिससे हम केवल लड़ते ही रह जाते हैं, इसका कोई हल नहीं ढूंढ पाते। क्या आपके साथ भी ऐसा हो रहा है या लाइफ में कई ऐसी परिस्थितियां बनी हैं जिसके कारण आप ने भी हताशा महसूस की है। तो बता दें कहीं न कहीं इसका कारण कुंडली के ग्रहों की खराब चाल से पैदा हुए दोष हो सकते हैं।
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अगर आपके साथ ऐसा कुछ हो रहा है तो इसके लिए सबसे पहले किसी ज्योतिषी के पास जाकर अपनी जन्मकुंडली दिखाकर ये पता करें कि कुंडली में किसी ग्रह की वजह से कौन से दोष पैदा है। यहां हम बताने जा रहे हैं शनि ग्रह की कुदृष्टि से पैदा हुए दोष से बचने के उपाय, परंतु इससे पहले जानें शनि के बारे में-

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि एक क्रूर ग्रह है। इनके बारे में कहा जाता है जिस जातक पर इसकी टेढ़ी नज़र पड़ जाती है उसके जीवन में समस्याओं का भंडार लग जाता है। चूंकि शनि की चाल धीमी है इसलिए जातकों के जीवन पर इनका लंबे समय तक असर रहता है। ज्योतिष विशेषज्ञों का कहना है कि जन्म कुंडली में शनि के स्थान से ही उसका जातक के ऊपर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में पता लगता है कि ये शुभ है या अशुभ। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि का स्थान शुभ नहीं होता तो यह शनि दोषों का निर्माण करता है जो व्यक्ति के लिए समस्याकारक साबित होता है।
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बता दें कुंडली में कुल 12 भाव होते हैं। ये भाव व्यक्ति के संपूर्ण जीवन की व्याख्या करते हैं। इन भावों के द्वारा पता लगता है कि शनि कहां शुभ और कहां अशुभ है। सबसे पहले कुंडली का चौथा भाव जिसे सुख भाव कहते हैं इस भाव में शनि का होना अच्छा नहीं माना जाता है। राहु और मंगल के साथ शनि के होने से दुर्घटना का प्रचंड दुर्योग बनता है। सूर्य के साथ शनि के संबंध होने से कुंडली में दोष पैदा होता है। जिसके चलते पिता-पुत्रों के आपसी संबंध खराब होते हैं। वृश्चिक राशि या चंद्रमा के साथ शनि का संबंध होने पर कुंडली में विष योग का निर्माण होता है। इसके अलावा अगर शनि ग्रह अपनी नीच राशि मेष में होता है तो ऐसी स्थिति में भी जातक को नकारात्मक फल प्राप्त होते हैं।

शनि दोषों से बचने के उपाय
हर शनिवार को शनि देव का उपवास रखें, संध्या काल में इन्हें सरसों का तेल चढ़ाएं। साथ ही साथ शाम पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाकर वहां सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
शास्त्रों में दिए इनके यानि शनि देव के बीज मंत्र- ‘ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः’ का 108  बार जाप करें।
संभव हो तो इनके दिन यानि शनिवार को काले या नीले रंग के वस्त्र धारण करें।
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अपनी क्षमता अनुसार गरीबों में या भिखारियों मे अन्न-वस्त्र ज़रूर बांटें, ऐसा करने से शनि दोषों से मुक्ति मिल जाएगी।


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Jyoti

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