ब्राह्मण होने के बावजूद क्यों था भगवान परशुराम का स्वभाव क्षत्रियों जैसा

punjabkesari.in Thursday, Feb 28, 2019 - 12:03 PM (IST)

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भगवान विष्णु के अवतार परशुराम एक ब्राह्मण थे। भगवान परशुराम किसी विशेष समाज के आदर्श नहीं है। वे संपूर्ण हिंदू समाज के हैं और वे चिरंजीवी हैं। उन्हें राम के काल में भी देखा गया और कृष्ण के काल में भी। वे एक ब्राह्मण तो थे लेकिन उन में सारे गुण क्षत्रियों जैसे देखने को मिले थे। लेकिन क्या आपको पता है कि उन में ये गुण कैसे आए और क्यों। तो चलिए आज हम आपको इसके पीछे जुड़ी एक पौराणिक कथा के बारे में बताएंगे।
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पैराणिक कथा के अनुसार महर्षि भृगु के पुत्र ऋचिक का विवाह राजा गाधि की पुत्री सत्यवती से हुआ था। विवाह के बाद सत्यवती ने अपने ससुर महर्षि भृगु से अपने व अपनी माता के लिए पुत्र की याचना की। तब महर्षि भृगु ने सत्यवती को दो फल दिए और कहा कि ऋतु स्नान के बाद तुम गूलर के वृक्ष का और तुम्हारी माता पीपल के वृक्ष का आलिंगन करने के बाद ये फल खा लेना।लेकिन सत्यवती व उसकी मां ने भूलवश इस काम में गलती कर दी और जब ये बात महर्षि भृगु को पता चली तो उन्होंने सत्यवती से कहा कि तूने गलत वृक्ष का आलिंगन किया है। इसलिए तेरा पुत्र ब्राह्मण होने पर भी क्षत्रिय गुणों वाला रहेगा और तेरी माता का पुत्र क्षत्रिय होने पर भी ब्राह्मणों की तरह आचरण करेगा।
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ये बात सुनकर सत्यवती ने महर्षि भृगु से प्रार्थना की कि मेरा पुत्र क्षत्रिय गुणों वाला न हो भले ही मेरा पौत्र ऐसा हो लेकिन पुत्र नहीं। महर्षि भृगु ने उसके दुख को देखते हुए कहा कि ऐसा ही होगा।
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कुछ समय बाद जमदग्रि मुनि ने सत्यवती के गर्भ से जन्म लिया। इनका आचरण ऋषियों के समान ही था। इनका विवाह रेणुका से हुआ। मुनि जमदग्रि के चार पुत्र हुए। उनमें से परशुराम चौथे पुत्र थे। उस एक गलती की वजह से सत्यवती का एक पौत्र यानि परशुराम स्वभाव से क्षत्रियों के समान हुए।
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