Kundli Tv- इस मंदिर में देखने को मिलते हैं मां के अनेकों रंग

punjabkesari.in Thursday, Jun 28, 2018 - 02:35 PM (IST)

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कानपुर के किदवई नगर के जंगलों में बसा जंगली देवी का मंदिर यहां के लोगों की आस्था का केंद्र है। जंगलों में स्थित होने की वजह से ही इसका नाम जंगली देवी विख्यात हुआ। इस मंदिर का इतिहास 11 हज़ार साल से भी ज्‍यादा पुराना और काफ़ी रोचक है। इस मंदिर का निर्माण बगाही गांव के राजा भोज ने 838 ईं में करवाया था। आलोचकों का मानना है कि कुछ समय बाद ये मंदिर स्वयं नष्ट हो गया था। गांव के एक नागरिक ने अपने घर की खुदाई करवाते समय उसे एक ताम्रपत्र तथा प्रतिमा मिली और पत्थर मिला जिसे उसने पुरात्तव विभाग को सौंप दिया। 

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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गांव के एक बुजुर्ग को मां ने सपने में दर्शन दिए और ताम्रपत्र और प्रतिमा वहीं स्थापित करने की चेतावनी दी। गांव वासियों ने मिलकर वहां एक छोटा सा मंदिर बनवाया। जंगलों के बीच होने की वजह से इसका नाम जंगली देवी पड़ा।

पहले लोग जंगली जानवरों के भय से यहां नहीं आते थे क्योंकि मंदिर के पास बने तालाब में जंगली जानवर पानी पीते आते थे। समय के साथ धीरे-धीरे तालाब सूख गया और आबादी बढ़ने लगी और लोग यहां आकर पूजा करने आने लगे साधू संतों ने वहां पर अपना डेरा जमा लिया। इसके बाद आपसी सहयोग से मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हो गया। दूर-दूर से दर्शनों के लिए यहां भक्त गण आने लगे। 1980 से इस मंदिर में अखंड ज्योति जल रही है। मान्यता है कि जो इस ज्योति को जलाएं रखने में योगदान देता है उसकी हर तरह की मनोकामना पूर्ण होती हैं।

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अन्य मान्यताओं के अनुसार जो कोई भक्त पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ माता के समक्ष अपनी कामना रखतें हैं तब माता अपना रंग बदल कर संकेत देती हैं। जिससे पता चलता है कि भक्त की मनोकामना जल्दी पूरी हो जाएगी।

इसके अलावा यहां के लोगों का मानना है कि मंदिर के पास बनी एक नाली पर एक ईंट रखने के बाद वहीं ईंट अपनें घर के निर्माण में लगाएं तो वो दिन दोगुनी रात चोगुनी तरक्की करता है। भक्तों के अनुसार नवरात्रि के छठे दिन यहां पर खजाना बांटा जाता है और तांबे के सिक्के दिए जाते हैं।

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Jyoti

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