Kundli Tv- जानें इस गुफा से, कब होगा कलियुग का अंत

punjabkesari.in Tuesday, Jun 26, 2018 - 01:34 PM (IST)

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उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में पाताल भुवनेश्वर गुफा के नाम से प्रसिद्ध है। यह गुफा आस्था का अद्भुत केंद्र बनी हुई है। यहां गुफा को लेकर कई प्रकार की मान्यताएं प्रचलित है। यह गुफा पहाड़ी के करीब 90 फीट अंदर बनी हुई है। 

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में स्थित पाताल भुवनेश्वर गुफा से लोगों की असीम आस्था जुड़ी हुई है। जिस कारण ये गुफा एक अद्भुत केंद्र बनी हुई है। इस गुफा के अंदर भगवान शंकर जी का मंदिर स्थापित है। पहाड़ी के करीब 90 फीट अंदर बनी ये गुफा किसी चमत्कार और आश्चर्य से कम नहीं है। पाताल भुवनेश्वर कस्बे के प्रवेश द्वार को समीर द्वार का नाम दिया गया है। कहा जाता है कि मेजर समीर कोतवाल जोकि उग्रवादियों के एक गुट के साथ लड़ाई में शहीद हो गये थे उनकी स्मृति में इसका नाम समीर द्वार रखा  गया। 

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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहां भगवान गणेश जी का कटा हुआ मस्तक है और साथ ही गुफा में चार पत्थर पाए जाते हैं जो चारों युगों के प्रतीक मानें गए हैं। कलियुग का प्रतीक पत्थर धीरे-धीरे ऊपर उठ रहा है। माना जाता है कि जब वह पत्थर पूरी तरह से ऊपर दीवार के साथ लग गया तब कलियुग का अंत हो जाएगा। 

पौराणिक कथा
गणपति जी का जन्म कैसे हुआ इस विषय के बारे में सब जानते ही होंगे। मां गोरी ने अपने शरीर की मैल से भगवान की उत्पत्ति की थी और उनको द्वारपाल नियुक्त किया ताकि उनके स्नान के समय कोई अंदर न आ सके। जब भगवान शिव वहां आए तो भगवान गणेश ने उनको रोका और गुस्से में भगवान शंकर ने उनका मस्तक धड़ से अलग कर दिया। माता पार्वती के क्रोध को शांत करने के लिए गणेश जी को हाथी का मस्तक लगा दिया और जो सीस पहले अलग किया उसको भगवान शिव ने इसी गुफा में विराजित कर दिया। प्रतिमा के उपर 108 पंखुड़ियों वाला ब्रह्मकमल है जिससे पानी की दिव्य बूंदें भगवान गणेश के शिलारूपी प्रतिमा पर गिरती हैं। कहा जाता है कि इस ब्रह्मकमल को शिव ने ही स्थापित किया है।

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नजर आता है तक्षक नाग का रूप
गुफा में शेषनाग की प्रतिमा के दर्शन करने को मिलतेें हैं और साथ ही भगवान शिव की जटाएं शिला रुपी पाई जाती हैं। इस गुफा में कालभैरव की जीभ के दर्शन भी होते हैं।  मान्यता है कि यदि कोई कालभैरव के मुंह से गर्भ में प्रवेश कर पूंछ तक पहुंच जाए तो उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। गुफा में केदारनाथ, बद्रीनाथ और अमरनाथ के भी दर्शन होते हैं। बद्रीनाथ में बद्री पंचायत की शिलारूप प्रतिमाएं हैं जिनमें यम-कुबेर, वरुण, लक्ष्मी, गणेश तथा गरुड़ शामिल हैं।

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स्कंदपुराण के अनुसार त्रेता युग में अयोध्या के सूर्यवंशी राजा ऋतुपर्ण जब एक जंगली हिरण का पीछा करते गुफा तक आ पहुचें। तब उन्हेोंने भगवान शंकर के साथ 33 कोटि देवताओं के दर्शन किए। द्वापर युग में पांडवों ने यहां चौपड़ खेला था और कलियुग में गुरु शंकराचार्य को इस गुफा का ज्ञात हुआ तो उन्होंने तांबे का एक शिवलिंग यहां स्थापित किया। वर्णन है कि स्वयं महादेव यहां विराजमान हैं और अन्य देवी देवता उनकी स्तुति करने यहां आते हैं।

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Jyoti

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