Religious Katha: खुद को बुद्धिमान समझकर दूसरों की निंदा करने वाले जरूर पढ़ें ये कथा

punjabkesari.in Wednesday, Mar 05, 2025 - 03:08 PM (IST)

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Religious Katha: एक राजपंडित को अपनी विद्वता पर बहुत अभिमान हो गया। उसने ऐलान कर दिया कि यदि कोई उसे शास्त्रर्थ में पराजित कर देगा तो वह अपना स्थान उसके लिए छोड़ देगा। उसी राज्य में एक गरीब लेकिन बेहद बुद्धिमान किशोर रहता था। वह राजा के दरबार में जा पहुंचा और उसे शास्त्रर्थ की चुनौती स्वीकार करने के लिए अपने इरादे से अवगत करवा दिया। राजा को उसकी कम उम्र देखकर आश्चर्य तो हुआ लेकिन दिलचस्पी भी हुई कि कैसे यह इतने विद्वान पंडित को चुनौती दे रहा है।

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किशोर ने पंडित से पहला सवाल किया कि आप स्वयं को बहुत बड़ा बुद्धिमान कहते हैं। कृपया बताएं कि यह बुद्धि रहती कहां है?

पंडित को कोई उत्तर न सूझा। राजा ने किशोर से कहा कि वही इस प्रश्न का उत्तर दे। किशोर बोला कि बुद्धि हमारी जुबां पर रहती है। यदि कोई विद्वान व्यक्ति समय आने पर उचित उत्तर न दे तो उसका समस्त ज्ञान व्यर्थ हो जाता है। राजा बहुत प्रभावित हुआ। किशोर ने दूसरा प्रश्न किया कि बुद्धि पहनती क्या है? 

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राजपंडित इस पर क्रोधित होकर बोला कि बुद्धि क्या कोई दिखने वाली वस्तु है, जो कुछ पहनेगी। इस पर राजा ने हस्तक्षेप कर उसे शांत किया और किशोर से बोला कि तुम ही इसका उत्तर दो। किशोर बोला कि यदि आप मुझे अपने राजसी वस्त्र और राजमुकुट पहनने को दें तो मैं इसका उत्तर दे सकता हूं। राजा ने उत्सुकतावश उसकी यह इच्छा भी पूरी कर दी। राजसी पोशाक पहनने के बाद वह बोला कि बुद्धि राजसी पोशाक पहनती है।

अर्थात यदि मनुष्य में बुद्धि है तो कुछ भी उसके लिए दुर्लभ नहीं है। किशोर की ज्ञान भरी बातें सुनकर राजपंडित को अपनी गलती का अहसास हो गया।

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Content Editor

Sarita Thapa

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