रानी लक्ष्मीबाई बेबाक रखती थी अपनी बात
punjabkesari.in Sunday, Jan 01, 2017 - 04:54 PM (IST)
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई बेबाक अपनी बात रखती थी। एक बार वह एक कथावाचक के यहां पहुंची। उस समय वहां कथा चल रही थी। वह बाल विधवा होने के बावजूद कांच की चूड़ियों की बजाय सोने की चूड़ियां पहने हुई थी। उनके हाथों में चूड़ियों को देख कर पंडित जी ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, ‘‘घोर कलियुग है। धर्म-कर्म की सारी मर्यादाएं टूट गई हैं। विवाहित स्त्रियां पहले कांच की चूड़ियां पहनती थी, वे अब विधवा होने के बाद सोने की चूड़ियां पहन रही हैं।’’
जब यह बात कही गई तब काफी लोग वहां मौजूद थे। यह सुनकर लक्ष्मीबाई ने कहा, ‘‘महाराज, आप क्या जानें कि हमने सोने की चूड़ियां क्यों पहन रखी हैं। पति के जीते जी कांच की चूड़ियां इसलिए पहनती थी ताकि हमारा सुहाग कांच की तरह नाशवान रहे और जब उन्होंने शरीर त्याग दिया तब सोने की चूड़ियां इसलिए पहनती हैं ताकि हमारा सुहाग सोने की तरह चमकता रहे।’’
वह पंडित लक्ष्मीबाई के इस उत्तर को सुनकर ठगा-सा रह गया। बिना कुछ जाने-समझे व्यंग्य करना कभी-कभी भारी भी पड़ सकता है इसलिए व्यंग्य सोच-समझ कर ही करना चाहिए।