Rama Ekadashi: रमा एकादशी व्रत करने वाले की सेवा में रहने लगती हैं अप्सराएं, पढ़ें कथा

punjabkesari.in Saturday, Nov 04, 2023 - 06:51 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Rama Ekadashi kab hai: मोक्षदायिनी रमा एकादशी सनातन धर्म में भगवान विष्णु के निमित्त किए जाने वाले एकादशी व्रत का पालन व्यक्ति को धर्म, अर्थ, काम, तथा मोक्ष चारों पुरुषार्थ की प्राप्ति देता है। इसी क्रम में रविवार दिनांक 9 नवंबर को कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की ग्यारस तिथि के उपलक्ष्य में रमा एकादशी पर्व मनाया जाएगा। दीपावली से चार दिन पहले मनाया जाने वाला रमा एकादशी पर्व अपने आप में बहुत खास है क्योंकि यह चातुर्मास की अंतिम एकादशी है।

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Rama Ekadashi 2023: इस एकादशी में मूल रूप से महालक्ष्मी के रमा स्वरूप के साथ-साथ, भगवान विष्णु के 8वें परमावतार श्रीकृष्ण के केशव स्वरूप के पूजन का विधान है। शास्त्रों में श्री कृष्ण के केशव स्वरूप का चित्रण अति सुंदर है। इस मनमोहक स्वरूप में श्री कृष्ण यौवन अवस्था में हैं तथा उनके बाल लंबे, घने तथा अति सुंदर हैं। देवराज इंद्र द्वारा रचित महालक्ष्मी अष्टक स्रोत के अनुसार, देवी का ‘रमा’ नाम देवी लक्ष्मी के एकादश प्रिय नामों में से एक है।

Rama Ekadashi vrat katha कथा का पौराणिक संदर्भ : शास्त्रों में कई जगह कार्तिक कृष्ण एकादशी को रंभा एकादशी भी कहा गया है। प्रचलित कथा के अनुसार, राजा मुचकुंद की पुत्री चंद्रभागा का विवाह राजा चंद्रसेन के पुत्र शोभन के साथ हुआ। शोभन भी विवाह के बाद चंद्रभागा के साथ एकादशी का व्रत रखने लगा। कार्तिक कृष्ण एकादशी पर शोभन की व्रत रखने पर भूख से मृत्यु हो गई। मृत्यु उपरांत शोभन को मंदराचल पर्वत स्थित देवनगरी में सुंदर आवास मिला, जहां उनकी सेवा के लिए रंभा नामक अप्सरा जुटी रहती थी क्योंकि रमा एकादशी के प्रभाव से मृत्यु उपरांत रंभादि अप्सराएं सेवा में रहने लगती हैं। इसी कारण इसे ‘रंभा एकादशी’ भी कहते हैं।

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Rama Ekadashi mahatva: रमा एकादशी के व्रत-पूजन से व्यक्ति पाप कर्मों से मुक्त होकर उत्तम लोक में स्थान पाता है। जीवन में वैभव मिलता है तथा मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह एकादशी जीवन से दाम्पत्य कलह को समाप्त करती है। इस दिन श्री कृष्ण के केशव स्वरूप का संपूर्ण वस्तुओं से पूजन, नैवेद्य व आरती कर प्रसाद वितरण करके व ब्राह्मण भोज कराया जाता है। रमा एकादशी में भगवान विष्णु को तुलसी अर्पित करने का बड़ा महत्व है।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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