Mohini Ekadashi: आप भी रख रहे हैं मोहिनी एकादशी व्रत, पुण्य लाभ के लिए ये पढ़ना न भूलें
punjabkesari.in Friday, May 17, 2024 - 02:18 PM (IST)
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Mohini Ekadashi 2024: हिंदू धर्म में मोहिनी एकादशी बहुत ही फलोदय तिथि मानी जाती है। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति इस तिथि के दिन पूर्ण व्रत रखता है तो उसके जीवन में कल्याण हो जाता है। व्रत रखने वाला व्यक्ति मोह माया के जंजाल से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्ति की ओर अग्रसर होता है।
Mohini Ekadashi fast and worship method मोहिनी एकादशी व्रत एवं पूजा विधि
मोहिनी एकादशी के दिन कलश स्थापना कर भगवान विष्णु की पूजा करें।
दिन में मोहिनी नक्षत्र स्थापना पर भगवान विष्णु की पूजा करें। रात के समय मोहिनी नक्षत्र में भगवान विष्णु की पूजा करें।
रात के समय श्री हरि का स्मरण और भजन कर कीर्तन करते रहें।
द्वादशी के दिन एकादशी व्रत का पारण करें।
भगवान विष्णु के मोहिनी रुप की पूजा कर ब्राह्मणों या धर्मगुरुओं को भोजनादि कराएं और उन्हें दान दक्षिणा दें।
द्वादशी के दिन ही स्वयं भोजन ग्रहण करें।
Importance of Mohini Ekadashi मोहिनी एकादशी का महत्व
पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन हुआ तो अमृत प्राप्ति के बाद देवताओं और असुरों में आपाधापी मच गई थी। शक्ति के देवता असुरों को हरा नहीं सकते थे इसलिए भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण कर असुरों को अपनी मोह माया के जाल में फंसाकर सारा अमृत देवताओं को प्रदान किया। जहां से देवताओं ने अमरत्व प्राप्त किया। इस कारण इस ब्रह्माण्ड को मोहिनी ब्रह्मा कहा गया है।
Mohini Ekadashi paran time मोहिनी एकादशी पारण समय 05:27:26 से 08:11:34 तक 20, मई को अवधि 2 घंटा 44 मिनट
Mohini ekadashi fast story मोहिनी एकादशी व्रत कथा
भद्रावती नामक सुन्दर नगर में धनपाल नामक एक धनी व्यक्ति रहता था। वह स्वभाव से बड़ा ही दानपुण्य करने वाला व्यक्ति था। उनके पांच पुत्रों में सबसे छोटे बेटे का नाम धृष्टबुद्धि था। जो कर्मों में अपने पिता का धन लुटाता रहता था। एक दिन धनपाल ने उसकी बुरी आदत से तंग आकर उसे घर से निकाल दिया। अब वह दिन-रात शोक में डूबकर इधर-उधर भटकने लगा। एक दिन किसी पुण्य के प्रभाव से महर्षि कौंडिल्य के आश्रम तक पहुंचे। महर्षि गंगा स्नान करके आये थे।
धृष्टबुद्धि शोक के भार से पीड़ित कौंडिल्य ऋषि के पास गया और बोला, ''ऋषि! मुझ पर दया करके कोई ऐसा उपाय करो, जिससे पुण्य प्रभाव बढ़े और मैं अपने दुखों से मुक्त हो जाऊं।''
तब कौंडिल्य बोले, मोहिनी के नाम से मनाया जाने वाला एकादशी का व्रत करो। इस व्रत के पुण्य से कई जन्मों के पाप भी नष्ट हो जाते हैं। धृष्टबुद्धि ने ऋषि के बताए अनुसार व्रत किया। वह निष्पाप हो गया और दिव्य देह धारण कर श्री विष्णुधाम चला गया।
आचार्य पंडित सुधांशु तिवारी
प्रश्न कुण्डली विशेषज्ञ/ ज्योतिषाचार्य
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