कल राधा रानी के साथ मां लक्ष्मी भी बरसाएंगी अपनी कृपा

punjabkesari.in Thursday, Sep 05, 2019 - 04:42 PM (IST)

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इस बात से तो सब वाकिफ ही हैं कि श्री राधा भगवान कृष्ण की प्रियेसी हैं। उनका जन्म कृष्ण के जन्म के 15 दिन बाद हुआ था। इस बार कल यानि 06 सितंबर को राधा अष्टमी का त्योहार बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन की खास तैयारियां उनके बरसाना धाम में कई दिनों पहले से ही शुरू हो चुकी हैं। कई लोग इस दिन व्रत भी करते हैं। ऐसा माना जाता है कि व्रत करने से इंसान को धन और ढेरों खुशियों की प्राप्ति होती है।  
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गौड़ीय वैष्णव समाज में राधाष्टमी तिथि का महत्व है। गौड़ीय वैष्णव इस तिथि का बड़ा ही आदर करते हैं। श्री मति राधिका कृष्ण की पूणर्तमा शक्ति एवं स्वयं इर्श्वरी हैं। उन्हीं से सभी शक्तियों का दुभार्व हुआ है। इसलिए हर कोई राधाष्टमी को जयन्ती कहना चाहते हैं और उस दिन कृष्ण जन्माष्टमी समान निर्जल उपवास करते हैं। इस दिन व्रत रहने से घर में सदा ही लक्ष्मी का वास होता है। सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, जीवन सुखमय हो जाता है। इसके अलावा संतान के सुखद और दीर्घ जीवन के लिए भी राधाष्टमी का व्रत करना आवश्यक माना गया है। महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए भी यह व्रत करती हैं।
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राधा जी भगवान श्रीकृष्ण को प्राणों से प्रिय हैं, तो श्रीकृष्ण राधा जी के इष्टदेव हैं। भगवान ने स्वयं राधारानी के बारे में कहा है कि उनके समान कोई दूसरा नहीं है। उनके सामने तो करोड़ों महालक्ष्मी भी नहीं ठहरती हैं। उनकी सुंदरता और गुणों का बखान कोई नहीं कर सकता। वह स्वयं भी उनके गुणों का बखान कर पाने में असमर्थ हैं। राधाजी भगवान श्रीकृष्ण की अधिष्ठात्री देवी हैं। जिनकी सुंदरता और गुणों पर स्वयं भगवान श्रीकृष्ण मुग्ध हैं तो राधा अपना सर्वस्व निछावर करके उनसे प्रेम करती हैं। पुराणों में राधा को भगवान श्रीकृष्ण की आत्मा बताया गया है, इसलिए ही भगवान श्रीकृष्ण राधारमण कहलाए।
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