Radha Ashtami 2025: राधा अष्टमी पर व्रत रखने से पहले जान लें ये जरूरी नियम, वरना नहीं मिलेगा पूर्ण फल

punjabkesari.in Thursday, Aug 28, 2025 - 07:00 AM (IST)

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Radha Ashtami 2025:  राधा अष्टमी, श्रीकृष्ण की परम आराध्या राधा रानी का जन्मोत्सव है, जिसे भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन भक्ति, प्रेम और श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है। राधा अष्टमी का पर्व वैष्णव संप्रदाय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन राधा रानी की विधिपूर्वक पूजा, व्रत और उपवास का विशेष महत्व है। राधा रानी को प्रेम, भक्ति और समर्पण की देवी माना जाता है। कहा जाता है कि राधा रानी के बिना श्रीकृष्ण की उपासना भी अधूरी मानी जाती है। राधा अष्टमी के दिन उपवासी भक्त राधा जी की पूजा करके उनसे सच्चे प्रेम, भक्ति और जीवन में शांति की कामना करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन विधि पूर्वक व्रत रखने से समस्त पाप नष्ट होते हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। लेकिन इस पर्व की पूजा तभी पूर्ण मानी जाती है जब इसे शास्त्रों में बताए गए नियमों के अनुसार किया जाए। आइए जानें राधा अष्टमी व्रत के नियम, पूजन विधि और व्रत में क्या करना चाहिए और क्या नहीं।

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Method of worship of Radha Ashtami  राधा अष्टमी की पूजा विधि

प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। व्रत का संकल्प लें।
राधा-कृष्ण की प्रतिमा या चित्र को लकड़ी की चौकी पर लाल या पीले कपड़े पर स्थापित करें।
फूल, धूप, दीपक, चंदन, अक्षत, फल, पंचामृत, तुलसी पत्ता, मिश्री आदि रखें।
मंत्रोच्चारण के साथ राधा रानी और श्रीकृष्ण का पूजन करें। विशेष रूप से राधा जी को गुलाब के फूल और सफेद मिठाइयां अर्पित करें।
पूजन के बाद आरती करें और भजन-कीर्तन करें।
फलाहार या सात्विक भोजन का भोग अर्पित करें। राधा जी को विशेष रूप से दही, मिश्री और तुलसी प्रिय है।
व्रत के दौरान राधा अष्टमी की कथा अवश्य पढ़ें या सुनें।

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 व्रत में क्या करें ?

राधा अष्टमी पर उपवास का विशेष महत्व है। भक्त निर्जल, फलाहार या एक समय का सात्विक भोजन कर सकते हैं।

झूठ, क्रोध और लालच से बचें। मन, वचन और कर्म से पवित्र रहें।

इस दिन अधिक से अधिक श्रीकृष्ण और राधा रानी के भजन गायें या सुनें।

जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, और दक्षिणा का दान करें। यह पुण्य फल को कई गुना बढ़ा देता है।

राधे-राधे मंत्र का जप करने से मन शांत होता है और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है।

What not to do during the fast व्रत में क्या न करें ?

 व्रत के दौरान किसी भी तरह के तामसिक भोजन  का सेवन न करें।

 किसी की निंदा, अपमान या कटु वचन न बोलें।

 यह दिन पूर्ण पवित्रता का प्रतीक है इसलिए किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहना आवश्यक है।

 शारीरिक और मानसिक स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें। पूजा के समय साफ-सुथरे वस्त्र पहनें।

 घर में प्रेमपूर्ण वातावरण बनाए रखें, किसी से वाद-विवाद करने से बचें।

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Content Editor

Prachi Sharma

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