Mahashivratri- शिवलिंग पर न चढ़ाएं जहरीली चीज़ें !

punjabkesari.in Thursday, Mar 07, 2024 - 08:42 AM (IST)

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 Process of Performing Shivling Abhishekam on Maha Shivratri- हम सब प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि मनाते हैं। प्रश्न उठता है कि हम हम सब शिवरात्रि क्यों मनाते हैं? क्या केवल अपने निज कल्याण के लिए उनसे वर, धन-संपत्ति, सृष्टिसुख मांगने के लिए मनाते हैं? देखा जाए तो अधिकांश लोग शिव व शिवजी के फर्क तक को नहीं जानते। वह शंकर हैं या शिव? हम लोग किसके अवतरण को शिवरात्रि के रूप में मनाते हैं? ध्यान दें तो हम लोग ‘सत्यम शिवम सुंदरम्’ कहते हैं लेकिन कभी ‘सत्यम् शंकरम सुंदरम्’ नहीं कहते। ज्यादातर शंकर भगवान के चित्रों और मूर्तियों में उनके सामने जो पिंडी रखी दिखाई जाती है उसे शिवलिंग कहा जाता है। क्या वह अपने लिंग को सामने रखकर स्वयं उसका ध्यान-योग कर रहे हैं? क्या उनका लिंग ही सृष्टि का रचयिता है? और वह यदि शंकर जी ही सर्वशिक्तमान हैं तो फिर ध्यान-योग क्यों और किससे?

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What is Maha Shivaratri- वास्तव में दिव्य ‘योति स्वरूप निराकार’ ज्योर्तिंलिंग शिव ही हम सब आत्माओं का परमपिता है। परम आत्मा होने के कारण परमात्मा कहलाते हैं। वह गर्भ से जन्म नहीं लेते। वह इस सृष्टि पर स्त्री या पुरुष का शरीर धारण करके आने वाली सभी आत्माओं का अलौकिक पिता हैं। इसीलिए उन्हें ‘परमपिता परमात्मा’ भी कहा जाता है। वही सर्वशक्तिमान हैं। श्रीमद्भगवतगीता में भी भगवन ने कहा है, ‘मैं अजन्मा, अकर्ता, अभोक्ता, अजर, अमर, अविनाशी मनुष्य सृष्टि का अनादि पिता, रचयिता, बीजरूप, सबका स्वामी, इंद्रियों से रहित (अशरीर), निराकार, ब्रह्मज्योति, अतिसूक्ष्म, अगोचर, उन्हें आखों से नहीं देखा जा सकता, प्रकाश स्त्रोत, ज्योतिस्वरूप हूं।

Shiva Lingam- अत: सिद्ध होता है कि परमात्मा एक ही है और निराकार ज्योतिबिंदु स्वरूप है। हम सब शिवरात्रि के दिन ‘शिव’ परमात्मा की पूजा उनके‘शिवलिंग’ के रूप में करते हैं। यही ज्योतिलिंगम् है। यानी ज्योति का आलोक पुंज, प्रकाश के आलोक का तीव्र प्रकीर्णन का एकमात्र स्त्रोत है। दीपक की ज्योति समान आलोकित होता हुआ है। अत: ‘शिव’ परमात्मा हैं और ‘शंकर’ देवता हैं।

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Shivling Abhishek- शिव रात्रि के दिन जिस ‘शिवलिंग’ के ऊपर बेलपत्र, बेर, फल-पुष्प आदि चढ़ाए जाते हैं उस ‘शिवलिंग’ के ऊपर तीन रेखाएं होती हैं और बीच में एक बड़ा सा ज्योति बिंदु दिखाया जाता है। यह तीन रेखाएं ब्रह्मा, विष्णु, महेश यानी शंकर का प्रतीक हैं। और बीच में ज्योति बिंदु स्वयं परमपिता परमात्मा कल्याणकारी ‘शिव’ का है। स्पष्ट है कि ब्रह्मा, विष्णु और शंकर का सीधा संबंध बिंदु स्वरूप ज्योतिपुंज शिव परमात्मा से है। ये तीनों ही सृष्टि के दिव्य कर्तव्य को शिव निर्देशानुसार प्राप्त ज्ञान के माध्यम से संपूर्णता निभाते गीता में भगवानुवाच है।

Maha Shivratri 2024- शिवरात्रि के दिन या रोजाना शिव राजयोग ध्यान-योग करने से मनुष्य तमोगुण एवं रजोगुण को दग्ध कर सतोगुण धारण कर देवी-देवता समान बन जाते हैं। सतोगुणी स्वरूप धारण करने के लिए खान-पान में भी तमोगुणी व रजोगुणी वस्तुओं का सेवन भी नहीं करना चाहिए । तभी मनुष्य मन-बुद्धि के द्वारा अपने अंदर सतोगुणी बनने का संस्कार पैदा कर पाएंगे ।

Do these special things to please Lord shiva- जब हम परमपिता परमात्मा के साथ योग लगाते हैं तो वह हमारे परमशिक्षक, सतगुरु और गाइड बनकर हमारी आत्मा की सात गुणों ज्ञान, प्रेम, पवित्रता, सुख, शांति, आनंद और शक्ति से भरपूर हो जाते हैं, जिससे हमारे अंदर स्वत: ही दैवीय गुणों की धारणा होने लग जाती है। पाच विकार काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार छूटने लगते हैं। सतोगुणी स्वरूप बनने लगता है। शिवरात्रि पर हमें शिवलिंग पर फल-फूल- मिष्ठान के साथ जहरीली वस्तुओं भाग, अक के फूल, धतूरा-काटे आदि नहीं चढ़ाना चाहिए क्योंकि वह देवता ‘शंकर’ नहीं , बल्कि ‘शिवलिंग’ ज्योतिलिंगम परमपिता परमात्मा शिव का प्रतीक है। जहरीली वस्तुओं को परमपिता परमात्मा पर पर चढ़ा कर स्वयं ही अपने धर्म की ग्लानि न करें। इसलिए इस शिवरात्रि पर अपने सर्वशक्तिमान प्यारे परमपिता परमात्मा की याद में उन्हें फल-फूल-मिष्ठान का भोग तो जरूर लगाएं मगर जहरीली वस्तुओं को उन पर बिल्कुल भी अर्पण न करें । 

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Content Writer

Niyati Bhandari

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