क्यों शपथ ग्रहण के पहले PM MODI को पहनाई गई पंचफूल की माला, जानें महत्व

punjabkesari.in Thursday, May 30, 2019 - 04:06 PM (IST)

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जैसे कि आप सब जानते हैं पूरे देश में इस समय लोक सभा चुनाव का ज़ोर चल रहा है, जिसके रिजल्ट्स 23 मई को आ गए हैं। इन रिजल्ट्स से साबित हो चुका है पिछली बार की ही तरह इस बार भी भाजपा यानि नरेंद्र मोदी जी की सरकार BJP ने बाज़ी जीत ली है। जिसके बाद आज 30 मई, 2019 यानि आज राष्ट्रपति भवन में एक बार फिर से PM MODI शपथ ग्रहण करेंगे। बता दें कि इस साल के लोक सभा चुनाव में नरेंद्र मोदी वाराणसी से खड़े थे। जहां प्रधानमंत्री मोदी अपनी प्रचंड जीत के बाद संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंचे। यहां लोगों द्वारा उनका भव्य स्वागत किया गया। मोदी ने यहां बाबा विश्वनाथ का रुद्राभिषेक किया। जिसके बाद पूजा समाप्त होने के बाद गर्भगृह में मौजूद काशी विश्वनाथ न्यास के अध्यक्ष अशोक द्विवेदी ने मोदी को पंचफूल की माला पहनाई। इसी के साथ 303 श्वेत कमल से तैयार की गई 3 माला भी बाबा यानि काशी विश्वनाथ को अर्पित की गई।

बता दें पंचफूल की यह माला बेला, गेंदा, कुंद, जूही के पुष्पों से तैयार की गई थी। काशी विश्वनाथ के एक पुजारी ने बताया कि यहां इस माला का विशेष महत्व होता है। यहीं कारण है कि यह माला कुछ खास अवसरों के दौरान ही चढ़ाई जाती है। तो आइए जानते हैं इससे जुड़ी कुछ रोचक बातें-

मान्यताओं के अनुसार इस माला को श्रावण मास, शिवरात्रि और बैकुंठ चतुर्दशी के दिन ही भगवान को अर्पित किया जाता है। कहा जाता है विश्वनाथ भगवान पर रुद्राक्ष चढ़ाने से बाबा विश्वनाथ और अधिक प्रसन्न हो जाते हैं। इसके अलावा यहां की मान्यताओं के चलते PM MODI ने बाबा विश्वनाथ को 101 पुष्प से बनी 3 मालाएं अर्पित की साथ ही कुल 303 श्वेत कमलों से निर्मित माला भगवान को चढ़ाकर समृद्धि की कामना की।

इसके अलावा आपको बता दें कि भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ मंदिर का काफ़ी महत्व है। कहा जाता है कि काशी की सूंपर्ण नगरी भगवान शिव के त्रिशुल पर टीकी है। यहां स्थापित मंदिर में शिव जी का ज्योतिर्लिंग दो भागों में बंटा हुआ है। जिसके दाहिने भाग में मां भगवती विराजमान हैं तो वहीं बांएं तरफ़ भोलेनाथ वाम रूप में स्थित हैं।

यहां प्रचलित कथाओं के अनुसार कुछ पुराणों के अनुसार काशी पहले भगवान विष्णु की पुरी हुआ करती थी। जहां भगवान विष्णु के आनंदाश्रु गिरे तो यहां बिंदु सरोवर बन गया। जिसके बाद से प्रभु यहां बिंधुमाधव के नाम से प्रतिष्ठित हुए। मगर महादेव को काशी इतनी अच्छी लगी कि उन्होंने इस पवित्र नगरी को श्रीहरि से अपने नित्य आवास के लिए मांग लिया। जिसके बाद से काशी भगवान शिव का निवास स्थान बन गई।


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Jyoti

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