Pitru Paksha: ये कैसा गांव जहां पितृपक्ष में नहीं होता श्राद्ध-तर्पण, ब्राह्मणों की Entry पर भी Ban
punjabkesari.in Tuesday, Sep 09, 2025 - 02:52 PM (IST)

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Sambhal News: आपको ये पढ़कर हैरानी हो रही होगी की ये कैसा गांव है, जहां के लोग पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध और तर्पण नहीं करते। यहां तक की ब्राह्मणों को भी गांव के अंदर प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। यदि कोई दान के लिए आ भी जाए तो उसे कुछ नहीं दिया जाता। वहां के स्थानीय निवासी मानते हैं कि इसके पीछे की वजह एक ब्राह्मण महिला का श्राप है। आईए जानें, इस परंपरा से जुड़ा इतिहास-
उत्तर प्रदेश के संभल जिले के गुन्नौर तहसील में स्थित भगता नगला गांव में पितृपक्ष के दौरान न तो श्राद्ध किया जाता है और न ही तर्पण। यहां तक की ब्राह्मणों को भी गांव में प्रवेश की अनुमति नहीं होती। स्थानीय निवासियों का मानना है की यह परंपरा वर्षों से उनके गांव में चली आ रही है और आने वाले समय में भी यह निभाई जाएगी। इस गांव को एक ब्राह्मण महिला का श्राप लगा हुआ है। अगर कभी भी किसी ने इसके विरुद्ध जाने का प्रयत्न किया तो गांव का सर्वनाश हो जाएग।
पितृ पक्ष में श्राद्ध, पिंडदान, तर्पण करने से पितरों को प्रसन्न किया जाता है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष में दान करने से पितरों की आत्मा को संतुष्टि मिलती है और पितृदोष से छुटकारा मिलता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए हिंदू धर्म में पितरों की आत्मा की शांति के लिए पितृपक्ष का विशेष महत्व रहता है।
गांव के बड़े-उम्रदराज लोग बताते हैं प्राचीन समय में भगता नगला में एक ब्राह्मण महिला पड़ोस के गांव से एक ग्रामीण के घर मृत परिजन का श्राद्ध कराने आई थी। श्राद्ध कर्म पूरा होने के बाद जब वो वापिस अपने गांव जाने लगी तो मूसलाधार वर्षा होने लगी। वो चाहकर भी अपने गांव लौट नहीं पा रही थी। मजबूरी वश उसे वहीं पर ठहरना पड़ा। वर्षा समाप्ति पर जब वे वापिस अपने गांव गई तो उसके पति ने उसे घर में प्रवेश करने पर रोक दिया। उस पर चरित्रहीनता का आरोप लगाया। हताश और निराश ब्राह्मण महिला वापिस भगता नगला लौटी और ग्रामीणों को अपने पति के ठुकराए जाने की सारी बात बताई। क्रोध में आकर उसने पूरे गांव को श्राप दिया की आज के बाद इस गांव में जो भी पितृपक्ष में श्राद्ध या तर्पण करेगा, उसका सर्वनाश हो जाएगा। ब्राह्मणों का भी प्रवेश निषेध रहेगा।
आहत ब्राह्मण महिला को ग्रामीणों ने वचन दिया कि आज के बाद इस गांव में पितृपक्ष के दौरान कोई भी गांव वाला श्राद्ध या तर्पण नहीं करेगा। ब्राह्मण भी इस गांव में नहीं आएंगे। श्राप के खौफ से किसी भी गांव वाले ने इस परंपरा को तोड़ने का साहस नहीं जुटाया। अन्य हिंदू संस्कारों जैसे विवाह, हवन, पूजा और अनुष्ठानों के लिए ब्राह्मणों को गांव में आने दिया जाता है। प्रथम नवरात्रि पर बहुत धूमधाम से हवन और पूजा-पाठ होते हैं।