Pitru Paksha 2021: क्यों करें श्राद्ध, पढ़ें महत्वपूर्ण जानकारी

punjabkesari.in Thursday, Sep 23, 2021 - 09:02 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Shradh 2021 september: श्राद्ध के महत्व को समझें। सदियों से चली आ रही भारत की इस व्यावहारिक एवं सुंदर परम्परा का निर्वाह अवश्य करें। हम पश्चिमी सभ्यता की नकल करके मदर डे, फादर डे, सिस्टर डे, वूमन डे, वैलेंटाइन डे आदि  पर ग्रीटिंग कार्ड या गिफ्ट दे के डे मना लेते हैं। उसके पीछे निहित भावना या उद्देश्य को अनदेखा कर देते हैं। परंतु श्राद्धकर्म का एक समुचित उद्देश्य है जिसे धार्मिक कृत्य से जोड़ दिया गया है।

PunjabKesari Pitru Paksha

Shradh 2021 Significance and Importance: श्राद्ध आने वाली संतति को अपने पूर्वजों से परिचित करवाते हैं। जिन दिवंगत आत्माओं के कारण पारिवारिक वृक्ष खड़ा है। उनकी कुर्बानियों व योगदान को स्मरण करने के ये 15 दिन होते है। इस अवधि में अपने बच्चों को परिवार के दिवंगत पूर्वजों के आदर्श व कार्यकलापों के बारे बताएं ताकि वे कुटुम्ब की स्वस्थ परंपराओं का निर्वाह करें।

PunjabKesari Pitru Paksha
श्राद्ध के 5 मुख्य कर्म अवश्य करने चाहिए।
तर्पण:
दूध, तिल, कुशा, पुष्प, सुगंधित जल पित्तरों को नित्य अर्पित करें।
पिंडदान : चावल या जौ के पिंडदान, करके भूखों को भोजन दें।
वस्त्रदान: निर्धनों को वस्त्र दें।
दक्षिणा : भोजन के बाद दक्षिणा दिए बिना एवं चरण स्पर्श बिना फल नहीं मिलता।

पूर्वजों के नाम पर, कोई भी सामाजिक कृत्य जैसे -शिक्षा दान, रक्तदान, भोजन दान, वृक्षारोपण, चिकित्सा संबंधी दान आदि अवश्य करना चाहिए।

PunjabKesari Pitru Paksha

Pitru Paksha Shraddha किस तिथि को किसका करें श्राद्ध?
जिस तिथि को जिसका निधन हुआ हो उसी दिन श्राद्ध किया जाता है। यदि किसी की मृत्यु प्रतिपदा को हुई है तो उसी तिथि के दिन श्रद्धा से याद किया जाना चाहिए। यदि देहावसान की डेट नहीं मालूम तो फिर भी कुछ सरल नियम बनाए गए हैं। पिता का श्राद्ध अष्टमी और माता का नवमी पर किया जाना चाहिए। जिनकी मृत्यु दुर्घटना, आत्मघात या अचानक हुई हो, उनका चतुदर्शी का दिन नियत है। साधु- सन्यासियों का श्राद्ध द्वादशी पर होगा। जिनके बारे कुछ मालूम नहीं, उनका श्राद्ध अंतिम दिन अमावस पर किया जाता है जिसे सर्वपितृ श्राद्ध कहते हैं।

PunjabKesari Pitru Paksha

Who can do Shradh Karma कौन-कौन कर सकता है श्राद्ध कर्म?
पिता का श्राद्ध पुत्र को ही करना चाहिए। पुत्र के न होने पर पत्नी श्राद्ध कर सकती है। पत्नी न होने पर सगा भाई और उसके भी अभाव में संपिंडों को श्राद्ध करना चाहिए। एक से अधिक पुत्र होने पर सबसे बड़ा पुत्र श्राद्ध करता है। पुत्री का पति एवं पुत्री का पुत्र भी श्राद्ध के अधिकारी हैं। पुत्र के न होने पर पौत्र या प्रपौत्र भी श्राद्ध कर सकते हैं।

पुत्र, पौत्र या प्रपौत्र के न होने पर विधवा स्त्री श्राद्ध कर सकती है। पत्नी का श्राद्ध व्यक्ति तभी कर सकता है, जब कोई पुत्र न हो। पुत्र, पौत्र या पुत्री का पुत्र न होने पर भतीजा भी श्राद्ध कर सकता है।

गोद लिया पुत्र भी श्राद्ध का अधिकारी माना गया है।

पितृपक्ष के पखवाड़े में स्त्री एवं पुरुष दोनों को ही सदाचार एवं ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।

यह एक शोक पर्व होता है जिसमें धन प्रदर्शन, सौंदर्य प्रदर्शन से बचना चाहिए। फिर भी यह पक्ष श्रद्धा एवं आस्था से जुड़ा है। जिस परिवार में त्रासदी हो गई हो वहां स्मरण पक्ष में स्वयं ही विलासिता का मन नहीं करता। अधिकांश लोग पितृपक्ष में शेव आदि नहीं करते अर्थात एक साधारण व्यवस्था में रहते हैं।

श्राद्ध पक्ष में पत्तलों का प्रयोग करना चाहिए। इससे वातावरण एवं पर्यावरण भी दूषित नहीं होता।

इस दौरान घर आए अतिथि या भिखारी को भोजन या पानी दिए बिना नहीं जाने देना चाहिए। पता नहीं किस रूप में कोई किसी पूर्वज की आत्मा आपके द्वार आ जाएं।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Recommended News

Related News