Paush Purnima: पौष पूर्णिमा के शुभ मुहूर्त में आ रहे हैं ये व्रत-त्योहार

punjabkesari.in Sunday, Jan 12, 2025 - 02:00 PM (IST)

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Paush Purnima 2025: पौष पूर्णिमा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण तिथि है, जो पौष मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। यह दिन धार्मिक अनुष्ठानों, स्नान, दान और उपवास के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। 2025 में पौष पूर्णिमा 13 जनवरी को पड़ रही है। यह दिन आत्मिक शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति के लिए भी महत्वपूर्ण माना गया है। पौष पूर्णिमा आध्यात्मिक साधना, धार्मिक कर्म और परोपकार के लिए बहुत खास है। इस दिन को श्रद्धा और निष्ठा के साथ मनाने से व्यक्ति को ईश्वर की कृपा और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

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Paush Purnima auspicious time पौष पूर्णिमा शुभ मुहूर्त: वर्ष 2025 की पहली पौष महीने की पूर्णिमा हिंदू पंचांग के अनुसार 13 जनवरी को सुबह 5 बजकर 3 मिनट से आरंभ होगी और 14 जनवरी की सुबह 3 बजकर 56 मिनट पर समाप्त होगी। हिंदू धर्म में सभी व्रत और त्यौहार उदय तिथि के अनुसार मनाए जाने का विधान है।  पौष पूर्णिमा 13 जनवरी को मनाई जाएगी। स्नान करने का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 27 मिनट मिनट से शुरू होकर 6 बजकर 21 मिनट तक रहेगा। पूर्णिमा तिथि पर चंद्रमा के दर्शन करने और उनको अर्घ्य देने का खास महत्व रहता है। चंद्रोदय 13 जनवरी की शाम 5 बजकर 4 मिनट पर होगा। 

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Beginning of Maha Kumbha महाकुंभ का आरंभ:  प्रयागराज में महाकुंभ मेला 13 जनवरी, 2025 से 26 फरवरी, 2025 तक आयोजित होने जा रहा है। 

Beginning of Magha month माघ मास का आरंभ: पौष पूर्णिमा से माघ मास की शुरुआत होती है। माघ मास में सूर्योदय से पहले स्नान और प्रार्थना का विशेष महत्व है।

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Religious rituals in Magha month  माघ मास में धार्मिक अनुष्ठान: इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करना शुभ माना जाता है। श्रीमद्भगवद्गीता, रामायण या अन्य पवित्र ग्रंथों का पाठ किया जाता है। कई भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और फलाहार करते हैं।

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Satyanarayan Vrat and Story सत्य नारायण व्रत और कथा: पौष पूर्णिमा के दिन सत्य नारायण व्रत और कथा का आयोजन करना सौभाग्य में वृद्धि करता है।

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Shakambhari Jayanti शाकंभरी जयंती: कुछ क्षेत्रों में इस दिन को माता शाकंभरी देवी की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है।

Paush Purnima Rituals पौष पूर्णिमा के अनुष्ठान: स्नान:सूर्योदय से पहले पवित्र नदियों या जलाशयों में स्नान करें। यदि नदी में स्नान संभव न हो, तो घर में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।

दान-पुण्य: भोजन, तिल, गुड़, चावल, कंबल और अन्य वस्त्र दान करें।

गोदान (गाय का दान) का विशेष महत्व है।

व्रत और पूजा: भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा करें। श्री सत्य नारायण व्रत कथा का आयोजन करें।

चंद्र दर्शन: पूर्णिमा के चंद्रमा को देखकर प्रार्थना करें और चंद्रमा को अर्घ्य दें।


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Content Writer

Niyati Bhandari

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