कब है साल 2026 की पहली पूर्णिमा? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

punjabkesari.in Thursday, Dec 25, 2025 - 04:48 PM (IST)

Paush Purnima 2026 : साल 2026 कुछ ही दिनों में आने वाला है और इसी के आगमन के साथ साल 2026 की पहली पूर्णिमा यानी के पौष पूर्णिमा भी आने वाली है। पूर्णिमा के अवसर पर जगत के पालनहार श्री हरि नारायण की और धन की देवी लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन चंद्र देव की पूजा का भी विधान है। माना जाता है कि जो भी जातक पूर्णिमा के दिन पर व्रत रखता है और देवी लक्ष्मी, भगवान विष्णु और चंद्र देव की पूजा अर्चना करता है। उसे शुभ फलों की प्राप्ति होती साथ ही ऐसे व्यक्ति का जीवन खुशियों से भर जाता है। इसके अलावा इस दिन के अवसर पर दान दक्षिणा देने से भी जातक पुण्य की प्राप्ति होती है। साल 2026 में किस दिन मनाई जाएगी पौष पूर्णिमा इसको लेकर लोगों को मन में उलझन बनी हुई है। तो आइए जानते हैं पौष पूर्णिमा 2026 के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में-

Paush Purnima 2026

पौष पूर्णिमा 2026 शुभ मुहूर्त 
हिंदू पंचांग के अनुसार पौष मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 02 जनवरी दिन शुक्रवार को शाम 06 बजकर 53 मिनट पर होगा और इसका समापन अगले दिन यानी के 03 जनवरी दिन शनिवार को दोपहर 03 बजकर 32 मिनट पर होगा। इसके अनुसार पौष पूर्णिमा का व्रत 03 जनवरी दिन शनिवार को रखा जाएगा। वहीं बात करे इस दिन के चंद्रोदय के समय की तो इस दिन चंद्रोदय शाम 05 बजकर 28  मिनट पर होगा। 

Paush Purnima 2026

पौष पूर्णिमा महत्व
पूर्णिमा के अवसर पर स्नान और दान के साथ-साथ चंद्र देव, माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की आराधना करना अत्यंत फलदायी माना गया है। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की पूजा करने से कुंडली में चंद्र ग्रह की स्थिति सुदृढ़ होती है और उससे जुड़े दोषों में कमी आती है। जो लोग आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हैं, उनके लिए पूर्णिमा की रात्रि में माता लक्ष्मी की विशेष उपासना करने की परंपरा है, जिससे धन-संबंधी बाधाएं दूर होने का विश्वास किया जाता है। इसके अतिरिक्त, सत्यनारायण भगवान की पूजा के लिए भी पूर्णिमा को सबसे शुभ तिथियों में गिना जाता है।

पौष पूर्णिमा पूजा विधि 
पौष पूर्णिमा के दिन प्रातःकाल सूरज निकलने से पहले स्नान करना शुभ माना जाता है। स्नान के उपरांत सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें। इसके बाद स्वच्छ स्थान पर एक चौकी लगाकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। पूजा के दौरान उन्हें पुष्प अर्पित करें और शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करें। इस समय “ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयातः” मंत्र का श्रद्धा के साथ जप करें। पूजा में मौसमी फल, मिठाई तथा दान योग्य वस्तुएं अवश्य रखें। इसके बाद भगवान विष्णु को पंजीरी का नैवेद्य अर्पित करें और “ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥” मंत्र का स्मरण करें। अंत में सत्यनारायण भगवान की कथा का पाठ करें, फिर लक्ष्मी-विष्णु की आरती उतारकर उपस्थित सभी लोगों को प्रसाद वितरित करें।

Paush Purnima 2026

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Content Editor

Sarita Thapa

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