कल है मार्गशीर्ष का मंगलवार, शत्रुओं पर काबू पाकर शान से जीने के लिए करें उपाय

punjabkesari.in Monday, Nov 20, 2017 - 09:57 AM (IST)

कल मंगलवार दी॰ 21.11.17 को मार्गशीर्ष शुक्ल तृतीया व मूल नक्षत्र होने के कारण देवी रक्तदंतिका का पूजन श्रेष्ठ रहेगा। महादेवी का रक्तदंतिका स्वरूप मूल रूप से आद्या शक्ति जगदंबिका का तामसिक रूप है। रक्तदंतिका का अर्थ है जिस देवी के दांत खून से सने हैं। रक्तदंतिका स्वरूप साहस, शौर्य, बल, पराक्रम का अद्भुत मिश्रण है। पौराणिक मतानुसार कालांतर में दैत्य वैप्रचलित से संसार को मुक्ति दिलाने हेतु मूलप्रकृति ने रक्तदंतिका रूप में धरती पर अवतरण लिया था, जिनके विकराल स्वरूप से दैत्यों का कलेजा कांप उठा था। वैप्रचलित असुर के काल में पाप सर्वाधिक भीषण स्तर पर था। संसार के घोर पाप इस समय साकार हो उठे थे। असहाय देवगण ने मूलप्रकृति की उपासना की जिससे जगदंबा ने उनकी पुकार पर रक्तदंतिका रूप में प्रकट होकर असुर सेना के साथ-साथ वैप्रचलित का भी भक्षण कर दैत्यों का रक्त पान किया। तब उनके दांत व मसूडे़ फूलकर अनार के फूलों के समान लाल हो गए। इसी कारण इन्हें रक्तदंतिका कहते हैं। मार्गशीर्ष मंगलवार पर रक्तदंतिका के विशेष उपाय व पूजन से दुर्भाग्य समाप्त होता है। शत्रुओं का अंत होता है तथा साहस में वृद्धि होती है।


पूजन विधि: देवी रक्तदंतिका के चित्र का विधिवत दशोपचार पूजन करें। चमेली के तेल का दीपक करें, गुग्गल से धूप करें, अनार का फूल चढ़ाएं। सिंदूर चढ़ाएं। लाल मावे का भोग लगाएं तथा लाल चंदन की माला से इस विशेष मंत्र से 1 माला जाप करें। पूजन के बाद भोग प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें।


पूजन मुहूर्त: शाम 17:01 से शाम 18:31 तक।

पूजन मंत्र: ॐ रं रक्तदंतिकाय नमः॥


उपाय
साहस में वृद्धि हेतु देवी रक्तदंतिका पर चढ़े सिंदूर से नित्य तिलक करें।


आज का एनिवर्सरी गुडलक: दुर्भाग्य से मुक्ति हेतु देवी रक्तदंतिका पर चढ़ा लाल वस्त्र किसी सुहागन को भेंट करें। 


गुडलक महागुरु का महा टोटका: शत्रुओं के अंत हेतु पीली सरसों सिर से वारकर देवी रक्तदंतिका के समक्ष कर्पूर से जलाएं। 

 


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