क्या है ‘ओंकार पर्वत’ पर स्थित इस शिव मंदिर की विशेषता?
punjabkesari.in Friday, Oct 14, 2022 - 02:03 PM (IST)

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देश में स्थित 12 ज्योतिर्लिंगों में चौथा ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर मंदिर है। मध्य प्रदेश के इंदौर शहर के पास नर्मदा नदी के मध्य ओंकार पर्वत पर स्थित यह मंदिर हिंदुओं की आस्था का केंद्र है। ओंकारेश्वर की महिमा का उल्लेख स्कंद पुराण, शिवपुराण व वायुपुराण में है। हिंदुओं में सभी तीर्थों के दर्शन के पश्चात ओंकारेश्वर के दर्शन व पूजन का विशेष महत्व है। तीर्थ यात्री सभी तीर्थों का जल लाकर ओंकारेश्वर में अर्पित करते हैं, तभी सारे तीर्थ वास्तव में पूर्ण माने जाते हैं। मंदिर परिसर एक पांच मंजिला इमारत है, जिसकी प्रथम मंजिल पर भगवान महाकालेश्वर का मंदिर है, तीसरी मंजिल पर सिद्धनाथ महादेव, चौथी मंजिल पर गुप्तेश्वर महादेव और पांचवीं मंजिल पर राजेश्वर महादेव का मंदिर है। ओंकारेश्वर में अनेक मंदिर हैं।
नर्मदा के दोनों दक्षिणी व उत्तरी तटों पर भी मंदिर हैं। पूरा परिक्रमा मार्ग मंदिरों और आश्रमों से घिरा हुआ है। अमलेश्वर ज्योतिर्लिंग नर्मदा जी के दक्षिणी तट पर विराजमान हैं। ओंकारेश्वर और अमलेश्वर दोनों शिवलिंगों को ज्योतिर्लिंग माना जाता है। यहां पर्वतराज विंध्य ने घोर तपस्या की थी और उनकी तपस्या के बाद उन्होंने भगवान शिव से प्रार्थना कर कहा कि वह विंध्य क्षेत्र में स्थिर निवास करें, उसके बाद भगवान शिव ने उनकी प्रार्थना स्वीकार कर ली। वहां एक ही ओंकारलिंग दो स्वरूपों में बंटा हुआ है। इसी प्रकार पार्थिव मूर्ति में जो ज्योति प्रतिष्ठित हुई थी, उसे ही परमेश्वर अथवा अमलेश्वर ज्योतिर्लिंग कहते हैं। मान्यता है कि भगवान शिव प्रतिदिन तीनों लोकों में भ्रमण के पश्चात यहां आकर विश्राम करते हैं। भक्तगण एवं तीर्थयात्री विशेष रूप से शयन दर्शन के लिए आते हैं।
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महानंदीश्वरा मंदिर
भगवान शिव को समर्पित महानंदीश्वरा मंदिर आंध्र प्रदेश के महानदी थम परम गांव में स्थित है, जिसे महानंदीगांव के नाम से जाना जाता है। यह 1500 साल पुराने महानंदीश्वरा मंदिर का घर है। गांव जंगलों से घिरा हुआ है और 10वीं सदी के शिलालेखों में मंदिर की कई बार मुरम्मत और पुनिर्माण की बात कही गई है। यहां 9 नंदी मंदिर हैं, जिन्हें नव नंदी के नाम से जाना जाता है और महानंदीश्वरा मंदिर इनमें से प्रमुख है। यह मंदिर नल्लामाला पहाड़ी शृंखला के पूर्व में स्थित है। महानंदी 9 नंदियों में से एक हैं जिनके चारों ओर नंदियों के 8 मंदिर- शिवा नंदी, विनायका नंदी, सोमा नंदी, प्रथमा नंदी, गरुड़ नंदी, सूर्य नंदी, कृष्ण नंदी (इसे विष्णु नंदी भी कहा जाता है) और नागनंदी हैं। यहां के मंदिरों को प्रसिद्ध विजयनगर राजाओं सहित कई राजवंशों के राजाओं का संरक्षण प्राप्त रहा है।