नीति शास्त्र आपके जीवन का एक निर्णय निर्मित कर सकता है आपकी कई पीढ़ियों का भविष्य

punjabkesari.in Thursday, Nov 19, 2020 - 04:16 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
"जो व्यक्ति निर्बलता से पराजित नहीं होता,  जो पुरषार्थ करने का साहस रखता है ह्रदय में वो अपने जीवन में निर्बलता को पार कर जाता है। इसका अर्थात निर्बलता अवश्य ईश्वर देता है। मगर मर्यादा मनुष्य का मन ही निर्मित करता है।"

सनातन धर्म में विभिन्न ग्रंथो है, इन सभी ग्रंथों ऐसी कई बातें बताई गई हैं जिनमें न केवल रहस्य छिपे हैं बल्कि मनुष्य जीवन के लिए कई तरह की सीख भी छिपी होती हैं। उपरोक्त वाक्य की तरह आज हम आपको ऐसी कुछ सीख देने वाले हैं जिनका वर्णन शास्त्रों में किया गया है। इन वाक्यों से न केवल मनुष्य को ज्ञान की प्राप्ति होती है बल्कि जीवन को जीने का ढंग व उसे देखने का नजरिया भी पता चलता है। 
PunjabKesari, Niti Shastra, Niti Gyan, Niti Shastra gyan in hindi, Niti in hindi, Sri Krishna, Lord Krishna Gyan, Lord krishna Niti, Bhagwat geeta Updesh in hindi, geeta Updesh in hindi, Geet updesh by sri krishna
भविष्य का दूसरा नाम है संघर्ष, ह्रदय में आज इच्छा होती है और यदि पूर्ण नहीं होती, तो ह्रदय भविष्य की योजना बनाने में लग जाता है भविष्य में इच्छा पूरी होगी ऐसी कल्पनना करता रहता है किंतु जीवन न तो भविष्य में न तो अतीत में है जीवन तो इस क्षण का नाम है, अर्थात इस क्षण का अनुभव ही जीवन है पर हम ये जानते हुए भी इतना सा सच समझ नहीं पाते, यां तो हम बीते हुए समय के स्मरणों को घेर कर बैठे रहते हैं या फिर आने वाले समय के लिए हम योजनाएं बनाते रहते हैं और जीवन बीत जाता है एक सत्य यदि हम जीवन में उतार लें कि न हम भविष्य देख सकते हैं न ही निर्मित कर सकते हैं , हम तो केवल धैर्य और साहस से भविष्य को आलिंगन दे सकते हैं, स्वागत कर सकते हैं भविष्य का, तो क्या जीवन का हर पल जीवन से नहीं भर जाएगा। 

कभी-कभी कोई घटना मनुष्य के जीवन की योजनाओं को तोड़ देती हैं, और मनुष्य उस आघात को अपने जीवन का केंद्र मान लेता है पर क्या भविष्य मनुष्य की योजनाओं पर निर्भर करता है, जी नहीं, जिस प्रकार किसी ऊंचे पर्वत पर सर्वप्रथम चढ़ने वाला उस पर्वत की तलाई में बैठकर जो योजना बनाता है, क्या  वही योजना उसे उस प्रवत की चोटी पर पहुंचाती है, नहीं वास्तव में वो जैसे जैसे ऊपर चढ़ता है उसे नई नई चुनौतियां का सामना करना पड़ता है, प्रत्येक पग पथ वो अपने अगले पथ का निर्णय करता है, और अपनी प्रत्येक पग पर अपनी योजना को बदलता है, कि कहीं पुरानी योजना उसे खाई में न धकेल दे, वो पर्वत को अपने योग्य नहीं बना पाता, केवल स्वयं को पर्वत के योग्य बना सकता है। क्या जीवन के साथ भी ऐसी नहीं है। जब मनुष्य किसी एक चुनौती को, एक अवरोध को अपने जीवन का केंद मान लेता है, अपने जीवन की गति को ही रोक लेता है तो वो अपने जीवन में असफल तो होता ही है साथ ही साथ सुख शांति भी खो बैठता है अर्थात जीवन को अपने योग्य बनाने के बदले खुद को जीवन के योग्य को बनाना ही सफलता का मार्ग है।
PunjabKesari, Niti Shastra, Niti Gyan, Niti Shastra gyan in hindi, Niti in hindi, Sri Krishna, Lord Krishna Gyan, Lord krishna Niti, Bhagwat geeta Updesh in hindi, geeta Updesh in hindi, Geet updesh by sri krishna
जीवन का हर क्षण निर्णय का क्षण होता है, जीवन के हर पथ पर दूसरे पथ के विषेय में निर्णय करना पड़ता है, और निर्णय, निर्णय अपना प्रभा छोड़ जाता है, आज किए गए निर्णय भविष्य में सुख अथवा दुख निर्मित करते हैं, न केवल अपने लिए बल्कि अपने परिवार के लिए, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी। जब कोई दुविधा सामने आती है मन व्याकुल हो जाता है, निर्णय का वो क्षण युद्ध बन जाता है, और मन युद्धभूमि। अधिकतर निर्णय हम दुविधा का उपाय करने के लिए नहीं बल्कि मन को शांत करने के लिए लेते हैं। पर क्या कोई दौड़ते हुए भोजन कर सकता है? नहीं, तो क्या युद्ध से जूझता हुआ मन कोई योग्य निर्णय ले पाएगा। वास्तव में जब कोई शांत मन से निर्णय करता है तो सुखद भविष्य बनाता है। किंतु जो व्यक्ति मन को शांत करने के लिए कोई निर्णय लेता है तो वो अपने भविष्य को काटों भरा वृक्ष लगाता है। 

जीवन में आने वाले संघर्षों के लिए जब मनुष्य खुद को योग्य नहीं मानता, जब उसे अपने ऊपर व अपनी योग्यताओं  पर विश्वास नहीं रहता, तब सद्गुणों को त्यागकर दुर्गुणों को अपनाता है,  वस्तुतः मनुष्य के जीवन में दुर्जनता जन्म ही तब लेती है जब उसके भीतर आत्म विश्वास नहीं रहता। आत्म विश्वास ही अच्छाई को धारण करता है। आत्म विश्वास है क्या जब मनुष्य  ये मानता है कि जीवन का संघर्ष उस दुर्बल बनाता है तो उसे ऊपर आत्मा विश्वासल नहीं रहता तो उसे अपने ऊपर विश्ववास नहीं रहता वो संघर्ष के पार जाने के बदले उससे छूटने के उपाय सोचने लगता है किंतु जब वो ये समझनवे लगता है कि ये संघर्ष उसे अधिक शक्तिशाली बना दे, ठीक जैसे व्यायाम करने से देह की शक्ति बढ़ती है, तब प्रत्येक संघर्ष करने के साथ उसका उत्साह बढ़ने लगता है अर्थात आत्म विश्वास और कुछ भी नहीं  मन की स्थिति है, जीवन को देखने को दृष्टिकोण मात्र है, और जीवन का दृष्टिकोण तो मनुष्य के अपने वश में होता है। 
PunjabKesari, Niti Shastra, Niti Gyan, Niti Shastra gyan in hindi, Niti in hindi, Sri Krishna, Lord Krishna Gyan, Lord krishna Niti, Bhagwat geeta Updesh in hindi, geeta Updesh in hindi, Geet updesh by sri krishna


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Jyoti

Recommended News

Related News