सही रास्ता ही दिला सकता है इंसान को Success

punjabkesari.in Thursday, Jan 21, 2021 - 05:44 PM (IST)

विचारों और मतों की भिन्नता मनुष्यों को अशांत किए हुए है। ऐसी अशांति से मुक्त होकर ही मनुष्य की आत्मा जागेगी। आत्मा का जागरण ही मानवता की भावना का सृजन करता है। इसी से मनुष्य मानवता के मार्ग पर प्रशस्त होता है। जीवन-जगत में प्रत्येक घटना के प्रति संवेदना की हलचल मनुष्य में निरंतर होनी चाहिए। संवेदनामयी हलचल मनुष्य को धैर्यवान बनाती है। जीवन की सभी प्राकृतिक, सामाजिक, वैज्ञानिक और राजनीतिक घटनाओं पर संवेदनशील होकर विचार करने की अंतर्दृष्टि हम में स्वयं जागृत होनी चाहिए।
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आज मनुष्य का जीवन असंवेदनशील, अनुदार और दुराचार से भरा है। मानव अहंकार की जकड़ में है। यह दुर्गुण ममता, मोह, माया, लोभ और सामान्य मानवीय बुराइयों से भी अधिक पीड़ादायक है। इनसे जीवन की अद्भुत नैसर्गिक शक्तियां खत्म हो रही हैं। संवेदना आधारित धीरज की अनुपस्थिति में मनुष्य निरंकुश बन रहा है। इससे ही धरती पर रक्तपात, मतभेद, क्रूरता और आसुरी विचार बढ़ रहे हैं। हालांकि ऐसा इस युग में पहली बार नहीं हो रहा।
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नि:स्वार्थ मानव सेवा भावना और सेवा व्यवहार की शिक्षा बच्चों, युवक-युवतियों को कैसे मिले, इस पर ध्यान लगाने की आवश्यकता है। फिलहाल इतना जरूर कहा जा सकता है कि यदि समाज के संत, महात्मा और आदर्श शिक्षकगण बच्चों को अपने जीवन से लगाव रखना सिखाएंगे तो निश्चित रूप से व्यापक परिवर्तन आएगा। सच पूछें तो इस युग को प्रगति के दुर्गुणों और बुराइयों से बचाने का यही एकमात्र उपाय है। अध्यात्म, आत्मा-परमात्मा की शिक्षा पथभ्रष्ट लोगों को सीधे नहीं दी जा सकती। एक बार ऐसे लोग अपनी मानवीय संवेदना जागृत करते हुए बड़े-बूढ़ों, अस्वस्थ-निराश्रित और पीड़ित-उपेक्षित लोगों की सेवा करने लग जाएं तो उनमें अध्यात्म का बीजारोपण स्वयं होने लगेगा। उन्हें प्रकृति से असीमित लगाव हो जाएगा। वे जीवन को सचमुच अद्भुत शक्तियों, संवेदनाओं और सद्व्यवहार से पोषित करने लगेंगे।    


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