Niti Gyan: जिस बात में सच्चाई नहीं, उसका कोई मूल्य नहीं

punjabkesari.in Sunday, Dec 19, 2021 - 03:47 PM (IST)

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सुकरात से मिलने उनका एक परिचित व्यक्ति आया और बोला, ‘‘मैंने आपके एक मित्र के बारे में कुछ सुना है।’’ 

ये सुनते ही सुकरात ने कहा, ‘‘दो पल रुकें।’’ 

‘‘मुझे कुछ बताने से पहले मैं चाहता हूं कि हम एक छोटा सा परीक्षण कर लें जिसे मैं ‘तीन कसौटियों का परीक्षण कहता हूं।’’

सुकरात ने कहा, ‘‘पहली सत्य की कसौटी है। क्या आप पूरे दावे से यह कह सकते हो कि जो बात आप मुझे बताने जा रहे हो वह पूर्णत: सत्य है? 

‘‘नहीं’’, परिचित ने कहा, ‘‘दरअसल मैंने ऐसा सुना है।’’

सुकरात ने कहा, ‘‘इसका अर्थ यह है कि आप आश्वस्त नहीं हो कि वह बात पूर्णत: सत्य है। चलिए, अब दूसरी कसौटी का प्रयोग करते हैं जिसे मैं अच्छाई की कसौटी कहता हूं। मेरे मित्र के बारे में आप जो भी बताने जा रहे हो क्या उसमें कोई अच्छी बात है? 

परिचित ने कहा नहीं। सुकरात बोले, ‘‘इसका मतलब यह है कि आप मुझे जो कुछ सुनाने वाले थे उसमें भलाई की बात नहीं है और आप यह भी नहीं जानते कि यह सच है या झूठ। हमें अभी भी आस नहीं खोनी चाहिए क्योंकि तीसरी कसौटी का परीक्षण अभी बचा हुआ है और वह है उपयोगिता की कसौटी। जो बात आप मुझे बताने वाले थे क्या वह मेरे किसी काम की है?’’ 

नहीं, ऐसा तो नहीं है।’’ 

परिचित ने असहज होते हुए कहा। अंत में सुकरात बोले, ‘‘जो बात आप मुझे बताने वाले थे वह न तो सत्य है न ही भली है और न ही मेरे काम की है, तो मैं उसे जानने में अपना कीमती समय क्यों नष्ट करूं?’’


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Content Writer

Jyoti

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