निठारी कोठी D-5 नोएडा का वास्तु विश्लेषण: वास्तु गुरु कुलदीप सलूजा

punjabkesari.in Saturday, Oct 21, 2023 - 07:58 AM (IST)

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Nithari Kothi D5 Noida: 2006 में पूरे देश को स्तब्ध कर देने वाला निठारी, नोएडा हत्याकांड आज फिर सुर्खियों में है। उत्तर प्रदेश के सबसे पॉश शहर नोएडा के बीचों-बीच स्थित निठारी में दो दरिंदे मोनिन्दर सिंह पंधेर और सुरेन्द्र कोली लगभग दो साल तक हैवानियत का नाच करते रहे और पीड़ित लोगों के परिवार वालों को पुलिस वाले सहयोग देने के बजाए दूत्कारते रहे। जब भंडाफोड़ हुआ तो पूरा देश सक्ते में आ गया। निठारी की डी-5 कोठी जहां लगभग 17 महिलाओं और बच्चों के साथ बलात्कार करने के बाद उनकी हत्या कर दी गई। शवों के साथ भी यौन संबंध बनाए गए और फिर अंग-भंग कर उनका मांस तक खाया गया।

आखिर कोठी डी-5 में ही इस प्रकार के हैवानियत का नाच क्यों नाचा गया ? इस कोठी में ऐसा क्या था ?
इसके वास्तु विशलेषण करने पर यह बात आईने की तरह साफ हो गई कि इस कोठी में इतने ज्यादा महत्वपूर्ण वास्तुदोष हैं कि यहां पर इस तरह की घटना का होना वास्तु की दृष्टि से कोई विशेष बात नहीं है। किसी भी प्रकार की ऐसी अनहोनी होना, जहां हत्याएं तक हो जाएं, वहां दो या दो से अधिक वास्तुदोष अवश्य होते हैं। किंतु इस कोठी में न जाने कितने ही महत्वपूर्ण वास्तुदोष थे, जो इस प्रकार हैं -

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कोठी डी-5 एक मंजिल ही बनी है। इसके गैराज के नीचे बेसमेंट है। इसकी पहली मंजिल पर गैराज के ऊपर बाथरूम है। जिसमें आने का रास्ता पीछे आंगन में बनी लोहे की सीढ़ियों के द्वारा है और पश्चिम में एक कमरा बना हुआ है। पिछले भाग का आंगन लोहे की जाली से ढ़का हुआ है।

कोठी डी-5 जिस प्लॉट पर बनी है। वह प्लॉट 40 डिग्री डायगोनल है। इसके मुख्यद्वार के एक कोने में पूर्व और दूसरे कोने में दक्षिण आता है अर्थात दक्षिण-पूर्व (एस-ई) यह रोड पर स्थित कोठी है। किसी भवन के सामने इन दिशाओं में सड़क हो तो वहां निवास करने वाले मौज-मस्ती और आय्याशी में पैसा खर्च करते हैं।

इस कोठी के कम्पाउण्ड वॉल का द्वार दक्षिण नैऋत्य में है और घर का द्वार भी दक्षिण नैऋत्य में ही स्थित अर्थात दोनों ही द्वार दक्षिण नैऋत्य में स्थित है। वास्तुशास्त्र के सिद्धांत के अनुसार जिस घर की चारदीवारी या घर का द्वार दक्षिण नैऋत्य में हो तो घर के लोग बदनामी, जेल, एक्सीडेंट या खुदकुशी के शिकार होते हैं। हार्ट अटैक, ऑपरेशन, एक्सीडेंट, हत्या, लकवा या बुरी मौत से मरते हैं क्योंकि यह द्वार शत्रु स्थान का है।

कोठी के आगे बाहर कम्पाऊण्ड वॉल से लगा हुआ एक नाला है, जहां कंकाल मिले हैं अर्थात् कोठी का आग्नेय कोण, दक्षिण एवं दक्षिण नैऋत्य का भाग नीचा है। नाले का बहाव भी नैऋत्य कोण की ओर है और यही पर मुख्य द्वार भी है इसलिए नाले के कम्पाऊण्ड वॉल के बाहर होने के बाद भी इस दोष का बुरा प्रभाव इस मकान पर पूर्णतः पड़ रहा है। कोठी का उत्तर, ईशान व पूर्व का भाग लगभग 2 फीट ऊंचा है। इस वास्तुदोष के कारण भवन का स्वामी अपवित्र कार्य में लिप्त रहता है, उसमें मानसिक अस्थिरता होती है और वह व्यसनों का दास होता है।

घर का पश्चिम, नैऋत्य एवं दक्षिण क्रमशः नीचा होते हुए ढलान लिए हुए है। जहां भूमिगत नाली पर सीवरेज लाइन के तीन चैम्बर भी बने हुए हैं। इस भाग पर निर्माण न होने के कारण यह भाग खुला हुआ है। इसके विपरीत उत्तर, पूर्व एवं ईशान दिशा डी-6 कोठी की हद तक निर्माण कार्य होने के कारण ढकी हुई है। इस कारण भवन के उत्तर, पूर्व एवं ईशान वाले भाग का फर्श ऊंचा है। जिन मकानों में इस प्रकार की बनावट होती है, उन मकानों में निवास करने वाले ऐसी बीमारियों से पीड़ित होते हैं, जिनका इलाज नहीं होता। यहां रहने वालों को धन नाश, शत्रु भय, जबरदस्ती गिरफ्तारी, कारावास, जायदाद का नुकसान, मृत्युभय आदि कष्टों का सामना करना पड़ता है।

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पश्चिम में गैराज बना हुआ है, इस कारण पश्चिम ढका हुआ है और इसी के नीचे गैराज से बड़ा लम्बाई लिए हुए बैसमेंट है। इस वास्तुदोष के कारण संपदा नष्ट होती है, वंश का नाश होता है और अमंगलकारी होता है। इस दोष का प्रभाव विशेषकर पुरुषों पर होता है।

पश्चिम दिशा में गैराज के ऊपर वह बाथरूम है, जहां सुरेन्द्र कोली हत्याएं करता था। इस तरह किसी भवन की पश्चिम दिशा का ढका हुआ होना अशुभ होता है। इस दोष के कारण वहां रहने वाले कुसंगति व कुकर्मों के लिए पैसा खर्च करते हैं। व्यसनों के दास होते हैं, जिद्दी होते हैं और इनका धन नष्ट होता है।

इस प्लॉट पर पूर्व दिशा की ओर से सड़क में घुमाव है, जिस कारण डी-5 कोठी के नैऋत्य कोण को मार्ग प्रहार हो रहा है, साथ ही नालें के कारण नैऋत्य नीचा है ही। इस दोष का कुप्रभाव विशेषकर स्त्रियों पर पड़ता है। इसी वास्तुदोष के कारण यहां पर लड़कियों का यौन शोषण कर उनकी हत्याएं की गई।

इस कोठी की बाहरी हालत बहुत खराब हो रही है एवं कई जगह से प्लास्टर क्रेक हो रहा है, आगे स्थित लॉन की पूर्व दिशा में मिट्टी का ढेर पड़ा हुआ है और दक्षिण दिशा के मध्य में जमीन एक डेढ फीट नीचे दबी हुई है। इस दिशा का स्वामी राहु होता है, वास्तु में टूटे हुए खिड़की-दरवाजे, उखड़े प्लास्टर, पपड़ीदार रंग रोगन, दीवार में दरारें, टूटे हुए पलंग, कब्रिस्तान इत्यादि का प्रतिनिधित्व करता है। राहु प्रभावित घर का यदि द्वार भी नैऋत्य कोण में हो (डी-5 प्लॉट एवं कोठी दोनों का द्वार नैऋत्य कोण में है)। ऐसे घर में निवास करने वाले स्वभाव से तामसी, घमंडी एवं लुच्चे तथा धूर्त होते है, उन्हें तेज मांस और बासी वस्तुएं अच्छी लगती हैं।

इन सब महत्वपूर्ण वास्तुदोषों ने मिलकर निठारी की कोठी डी-5 में ऐसी नकारात्मक ऊर्जा पैदा कि वहां ऐसा घिनौना कार्य किया जाता रहा।

एक ओर महत्वपूर्ण बात कि जो बच्चे, बच्चियां एवं युवतियां इस कोठी में शिकार हुए, निश्चित ही उनके घरों में भी दो या दो से अधिक वास्तु दोष अवश्य रहे होंगे। तभी उनके साथ ऐसी अनहोनी घटना घटित हुई। उनके घरों में एक दोष ईशान कोण में और दूसरा नैऋत्य कोण में अवश्य ही रहा होगा।

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वास्तु गुरू कुलदीप सलूजा
thenebula2001@gmail.com


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Content Writer

Niyati Bhandari

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