ये चीज़ें लेते समय कभी Feel न करें Shy

punjabkesari.in Thursday, May 24, 2018 - 02:36 PM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा
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अक्सर हम ने लोगों को यह कहते सुना है कि हमें किसी से कभी कोई चीज़ नहीं लेनी चाहिए। लेकिन शास्त्रों में कुछ एेसी चीजों के बारे में बताया गया है जो बिना संकोच के किसी से भी ले सकते हैं। मनु स्मृति में एक श्लोक दर्ज है जिसके अनुसार 7 चीजें ऐसी हैं जिन्हें लेने में कभी भी किसी को संकोच नहीं करना चाहिए। ये चीज़े आपको जहां से भी मिलें आपको उन्हें लेने में हिचकिचाना नहीं चाहिए।

श्लोक
स्त्रियो रत्नान्यथो विद्या धर्मः शौचं सुभाषितम्। विविधानि च शिल्पानि समादेयानि सर्वतः।।


अर्थात- जहां कहीं से भी या किसी से भी यह 7 चीज़ें मिलें उन्हें ले लेना चाहिए। बगैर ये सोचे कि जिस जगह से या जिस व्यक्ति से हम यह चीज़ ले रहे हैं वह अच्छा है या बुरा। पहली चीज़ है शुद्ध रत्न, दूसरी विद्या, तीसरा धर्म, चौथा पवित्रता, पांचवा उपदेश और छठा भिन्न-भिन्न प्रकार के शिल्प, सातवां सुंदर और शिक्षित स्त्री।


शुद्ध रत्न
हुमूल्य रत्न जैसे पुखराज, पन्ना, हीरा, नीलम बहुत महंगे होते हैं। हीरा, कोयले की खान में से निकलता है और मूंगा समुद्र की गहराइयों में पाया जाता है। न तो कोयले की खान साफ़ होती है और न ही समुद्र की गहराई, लेकिन इसका अर्थ यह कदापि नहीं कि आप इन्हें लेने या पहनने में हिचकिचाएं। यह आपके काम के ही हैं।
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विद्या
शिक्षा यानि ज्ञान, जहां कहीं से भी मिले, जिस किसी से भी मिले, उसे पाने में हिचकिचाना नहीं चाहिए। ज्ञान हमारे जीवन को नई दिशा देता है, इसे पाने के बाद हमारे लिए कुछ भी करना मुश्किल नहीं रह जाता। बस जरूरत है तो उस ज्ञान को अपने चरित्र में उतारने की, उसे अपने जीवन में धालने की।
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धर्म
धर्म” का अर्थ है धारण करना। धर्म बस एक शब्द नहीं मनुष्य के संपूर्ण जीवन का सार भी हो सकता है। धर्म हमें सही मार्ग पर चलना सिखाता है, जीवन की वास्तविक जिम्मेदारियों से अवगत करवाता है, दूसरों की भलाई करने की शिक्षा भी देता है। इसलिए अगर कोई आपको धर्म की दीक्षा दे तो आपको कभी उसे मना नहीं करना चाहिए।
 

पवित्रता
पवित्रता का अर्थ केवल शरीर से नहीं है, इसका विस्तृत अर्थ मनुष्य के आचार-किचार और जीवन यापन के तरीकों से जुड़ा है। जब तक इंसान के व्यवहार और चरित्र में पवित्रता नहीं होगी तब तक वह जीवन में कभी भी उन्नति नहीं कर पाएगा। इसलिए मनुष्य को हमेशा पवित्रता की खोज करनी चहैए और अगर वह मिल जाए तो उसे निसंकोच स्वीकार कर लेना चाहिए।
 

उपदेश
फिर किसी खास जगह पर, कोई संत-महात्मा या कोई ज्ञानी आपको कोई उपदेश दे रहा हो तो उसे सुने बिना वहां से जाना नहीं चाहिए। क्योंकि क्या पता किस व्यक्ति की कौन सी बात आपके जीवन की दिशा बन जाए। संतों के उपदेश मन को शांति प्रदान करते हैं और आपको अपनी जिम्मेदारी का बोध करवाते हैं।
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शिल्प
शिल्प का अर्थ कला से है, आप जिस व्यक्ति से कला सीख रहे हैं, उसके धर्म जात, उसके चरित्र, स्वभाव से आपको कोई सरोकार नहीं होना चाहिए क्योंकि आपको उद्देश्य कला की दीक्षा लेना है। आपको पूरी निष्ठा के साथ अपने गुरु से कला सीखनी चाहिए। क्योंकि कला चाहे कोई भी हो, अगर आपको उसका अच्छा ज्ञान है तो आप और आपका परिवार कभी भूखे पेट नहें सोएगा।
 

गुणवान स्त्री
सुंदरता का अर्थ केवल चेहरे की खूबसूरती से नहीं है, बल्कि चरित्र भी समान रूप से महत्व रखता है। ऐसी स्त्री जिसका चरित्र उज्जवल है, जिसमें किसी प्रकार का कोई दोष नहीं है, जो अपने परिवार की चिंता करती है, संकट की घड़ी में अपने पति का साथ देती है और वह शिक्षित भी है। ऐसी स्त्री हर किसी के लिए सौभाग्यशाली साबित हो सकती है। अगर ऐसी स्त्री आपको मिल जाए तो इस बात की परवाह किए बगैर कि वो किस कुल से संबंध रखती है, उसे स्वीकार कर लेना चाहिए।
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