Neem Karoli Baba के अनुसार ये 4 आदतें बनती हैं असफलता की वजह, आज ही बदलें वरना पछताना पड़ेगा
punjabkesari.in Friday, Dec 26, 2025 - 02:14 PM (IST)
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Neem Karoli Baba : नीम करोली बाबा जिन्हें उनके भक्त 'महाराज जी' के नाम से पुकारते हैं, न केवल एक महान संत थे बल्कि एक ऐसे आध्यात्मिक गुरु थे जिनके विचारों ने स्टीव जॉब्स और मार्क जुकरबर्ग जैसे दिग्गजों का जीवन बदल दिया। कैंची धाम वाले बाबा का दर्शन बहुत सरल थासबकी सेवा करो, सबसे प्यार करो और भगवान का नाम लो। अक्सर हम अपनी असफलता का दोष अपनी किस्मत या दूसरों को देते हैं, लेकिन नीम करोली बाबा के अनुसार, हमारी असफलता का कारण बाहरी परिस्थितियां नहीं, बल्कि हमारी अपनी कुछ आदतें होती हैं। यदि आप भी जीवन में संघर्ष कर रहे हैं और सफलता हाथ नहीं लग रही है, तो बाबा के बताए इन 4 आदतों का विश्लेषण जरूर करें।

अतीत का रोना रोना और पछतावा करना
नीम करोली बाबा कहते थे कि जो बीत गया, वह ईश्वर की मर्जी थी। कई लोगों की आदत होती है कि वे अपनी पुरानी गलतियों, असफलताओं या दूसरों द्वारा किए गए बुरे व्यवहार को याद करके दुखी रहते हैं।
असफलता का कारण: जब आप अतीत में जीते हैं, तो आप वर्तमान की ऊर्जा को नष्ट कर देते हैं। इससे आपके निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है।
बाबा की सीख: बाबा कहते थे, जो हो गया उसे भूल जाओ, आगे जो करना है उस पर ध्यान दो। पछतावा करने से केवल मानसिक कमजोरी आती है, प्रगति नहीं।
अपनी योजनाएं और कमाई का दिखावा करना
आज के दौर में सोशल मीडिया शो-ऑफ एक आम आदत बन गई है लेकिन नीम करोली बाबा ने इसके खिलाफ सख्त चेतावनी दी थी। बाबा का मानना था कि अपनी सफलता की रणनीतियों और अपनी संपत्ति का बहुत अधिक प्रदर्शन करना पतन का कारण बनता है।
असफलता का कारण: जब आप अपनी गुप्त योजनाओं को जगजाहिर कर देते हैं, तो उन पर नकारात्मक ऊर्जा और दूसरों की नजर का प्रभाव पड़ता है। साथ ही, अहंकार आने से आपकी मेहनत की धार कम हो जाती है।
बाबा की सीख: अपनी आय और अपनी अगली चाल को हमेशा गुप्त रखें। जब काम सफल हो जाए, तो वह खुद दुनिया को सुनाई देगा। अपनी शक्तियों को प्रदर्शन में खर्च न करें।

दूसरों की आलोचना और बुराई करना
नीम करोली बाबा के दरबार में जो कोई भी दूसरों की बुराई लेकर आता था, बाबा उसे तुरंत टोक देते थे। दूसरों की निंदा करना एक ऐसी आदत है जो आपकी सकारात्मकता को पूरी तरह सोख लेती है।
असफलता का कारण: जब आप किसी की बुराई करते हैं, तो आप अनजाने में उस व्यक्ति के नकारात्मक कर्मों का हिस्सा बन जाते हैं। आपका मस्तिष्क दूसरों की गलतियां ढूंढने में इतना व्यस्त हो जाता है कि वह अपनी सुधार की गुंजाइश खत्म कर देता है।
बाबा की सीख: सबमें राम देखो। यदि आप किसी की मदद नहीं कर सकते, तो कम से कम उसकी बुराई भी न करें। सफलता उसी के पास आती है जिसका मन द्वेष से मुक्त और निर्मल होता है।
दान और सेवा भाव की कमी
बाबा नीम करोली का पूरा जीवन ही 'सेवा' पर आधारित था। वे कहते थे कि जो व्यक्ति केवल अपने बारे में सोचता है और समाज या जरूरतमंदों के प्रति निष्ठुर रहता है, उसकी सफलता स्थायी नहीं हो सकती।
असफलता का कारण: ब्रह्मांड का नियम है जो दोगे, वही लौटकर आएगा। यदि आप केवल संचय करते हैं और दूसरों की मदद नहीं करते, तो आपके जीवन में धन और सुख का प्रवाह रुक जाता है। स्वार्थी व्यक्ति अंततः अकेला और असफल रह जाता है।
बाबा की सीख: भूखे को भोजन कराओ। बाबा के अनुसार, आपके धन का एक हिस्सा सेवा में जाना चाहिए। जब आप दूसरों का भला सोचते हैं, तो ईश्वर स्वयं आपके रास्ते की बाधाएं हटाने लगते हैं।

