Navratri 2021 kalash sthapana muhurat: ये है घट स्थापना का शुभ मुहूर्त और विधि

punjabkesari.in Thursday, Oct 07, 2021 - 07:17 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Navratri 2021 kalash sthapana muhurat: शारदीय नवरात्रि 7 अक्तूबर, गुरुवार से शुरू हो रहे हैं, जो 15 अक्तूबर, शुक्रवार को सम्पन्न होंगे। नवरात्रि के 9 दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की उपासना की जाती है। इस बार 8 दिन के नवरात्रि में मां भगवती डोली पर सवार होकर पधारेंगी। गुरुवार व शुक्रवार को नवरात्रि का आरम्भ हो तो मां डोली पर सवार होकर आती हैं।

PunjabKesari Navratri kalash sthapana muhurat

Navratri 2021 date and time शारदीय नवरात्र का शुभ मुहूर्त
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ : 6 अक्तूबर शाम 4.35 मिनट से शुरू 
प्रतिपदा तिथि समाप्त : 7 अक्तूबर दोपहर 1.46 मिनट तक 
घटस्थापना का मुहूर्त : 7 अक्तूबर को घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6.17 मिनट से सुबह 7.07 मिनट तक का है।

घट स्थापना की विधि : नवरात्रि के प्रथम दिन ही घटस्थापना की जाती है। इसे कलश स्थापना भी कहा जाता है। इसके लिए कुछ सामग्रियों की आवश्यकता होती है।

जल से भरा हुआ पीतल, चांदी, तांबा या मिट्टी का कलश, पानी वाला नारियल, रोली या कुमकुम, आम के 5 पत्ते, नारियल पर लपेटने के लिए लाल कपड़ा या चुनरी, लाल सूत्र / मौली,  साबुत  सुपारी, साबुत चावल और सिक्के, कलश ढंकने के लिए ढक्कन और जौ।

PunjabKesari Navratri kalash sthapana muhurat

Kalash sthapna vidhi कलश स्थापना की पौराणिक विधि :
मां दुर्गा की मूूर्ति के दाईं तरफ कलश को स्थापित किया जाना चाहिए। जिस स्थान पर कलश स्थापित करना है वहां पर किसी बर्तन के अन्दर मिट्टी भरकर रखें या फिर ऐसे ही जमीन पर मिट्टी का ढेर बनाकर उसे जमा दें। यह मिट्टी का ढेर ऐसे बनाएं कि उस पर कलश रखने के बाद भी कुछ जगह बाकी रह जाए। कलश के ऊपर रोली अथवा कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं। इसके बाद कलश पर मौली बांध दें। 

इसके बाद कलश में थोड़ा गंगाजल डालें और बाकी शुद्ध पीने के पानी से कलश को भर दें। जल से भरे कलश के अंदर थोड़े से अक्षत (चावल), 2-4 दूर्वा घास, साबुत सुपारी और 1 या 2 रुपए का सिक्का डालकर चारों ओर आम के 4-5 पत्ते लगा दें। फिर मिट्टी या धातु के बने ढक्कन से कलश को ढंक दें। 

इस ढक्कन पर स्वस्तिक बनाना होगा। फिर उस ढक्कन पर थोड़े चावल रखने होंगे। एक नारियल पर लाल रंग की चुनरी लपेटें। इसे तिलक करें और स्वस्तिक बनाएं। नारियल को ढक्कन के ऊपर चावल के ढेर के ऊपर रख दें। 

नारियल का मुख हमेशा अपनी ओर ही रखें, चाहे आप किसी भी दिशा की ओर मुख करके पूजा करते हों। 

दीपक का मुख पूर्व दिशा की ओर रखें। अगर शारदीय नवरात्र व्रत हो तो कलश के नीचे बची जगह पर अथवा ठीक सामने जौ बोने अच्छे होते हैं।  

Kanya pujan कन्या पूजन : नवरात्रि में व्रत के साथ कन्या पूजन का बहुत महत्व होता है। जो लोग नवरात्रि के 9 दिनों का व्रत रखते  हैं या फिर पहले दिन और दुर्गा अष्टमी का व्रत रखते हैं, वे लोग कन्या पूजन करते हैं। 

कई स्थानों पर कन्या पूजन दुर्गा अष्टमी के दिन होता है और कई स्थानों पर यह महानवमी के दिन होता है। 1 से 9 वर्ष की कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है इसलिए उनकी पूजा की जाती है।       

PunjabKesari Navratri kalash sthapana muhurat


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Recommended News

Related News